करवाचौथ में सुहागिनों ने मंदिरों में सुनी कथा

करवाचौथ का त्योहार रविवार को पूरे उल्लास के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 10:19 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 10:19 PM (IST)
करवाचौथ में सुहागिनों ने मंदिरों में सुनी कथा
करवाचौथ में सुहागिनों ने मंदिरों में सुनी कथा

संवाद सूत्र, फाजिल्का : करवाचौथ का त्योहार रविवार को पूरे उल्लास के साथ मनाया गया। सभी सुहागिनों के दिन भर के लंबे इंतजार के बाद आसमान में चांद दिखाई दिया और महिलाओं ने चांद और पति का चेहरा देखकर अपने व्रत खोले। महिलाओं ने अपने प्रियतम के हाथ से पानी और खाने का पहला निवाला खाकर अपना व्रत पूरा किया।

फाजिल्का में रात्रि साढ़े आठ के बाद से चांद दिखा। करवा चौथ के व्रत को लेकर हमेशा से भारतीय विवाहित महिलाओं में खासा उत्साह रहा है। ये मौका महिलाओं के लिए एक बार फिर दुल्हन की तरह श्रृंगार करके अपने पति के प्रति निष्ठा और प्रेम दिखाने का होता है। शाम करीब चार बजे शहर के विभिन्न मोहल्लों में बने मंदिरों व घरों में महिलाओं ने चौथ माता की कथा सुनी, जिसके बाद रात्रि महिलाओं ने चांद का बेसब्री के साथ इंतजार किया। रात्रि आसमान में चांद निकलने के बाद महिलाओं ने पहले आसमान के चांद को छननी में देखा तो बाद में उनके पास खड़े चांद को भी छननी से निहारा। चांद को अ‌र्घ्य देने के बाद महिलाओं ने अपने बुजुर्गो का आशीर्वाद लिया और बाद में पति के हाथ से कुछ खाकर वर्त तोड़ा। वहीं रात के समय शहर के विभिन्न होटलों व रेस्टोरेंट में भी लोगों की भारी भीड़ दिखाई दी।

करवाचौथ ने करवाया पूर्ण रूप से सुहागिन होने का अहसास मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : नए जमाने में भी हमारे देश की महिलाएं हर वर्ष करवाचौथ का व्रत पहले की तरह पूरी निष्ठा व भावना से रखती हैं। आधुनिक होते समाज में भी महिलाएं अपने पति की दीर्घायु को लेकर सचेत रहती हैं। करवाचौथ में सबसे खास अहसास पहली बार ससुराल में व्रत रखने वाली महिलाओं का होता है। भले ही शादी के दिन महिलाएं पूरा श्रृंगार कर तैयार होकर शादी के वचन निभाती हैं, लेकिन शादी के बाद करवाचौथ का पर्व ऐसा त्यौहार है जो हर महिला से लेकर नवविवाहित महिला को सुहागिन होने का अहसास करवाता है।

भले ही शादी वाले दिन सारा सामान लिया हो और हर वस्तु पास हो, लेकिन महिलाएं करवाचौथ के व्रत को लेकर खरीददारी करने से पीछे नहीं रहती। इसी के तहत रविवार को सारा दिन करवाचौथ का व्रत रखने वाली नवविवाहित जोड़ी, जिन्होंने पहली बार व्रत रखा ने अपने विचार कुछ इस तरह पेश किए। पति-पत्नी गृहस्थी के दो पहिये फाजिल्का निवासी रोहन की पत्नी राधिका ने बताया कि अपने आसपास अन्य महिलाओं को व्रत रखते हुए देखती थी। लेकिन तब केवल उनका सजना संवरना और व्रत से जुड़ी रस्में निभाना ही नजर आता था, लेकिन आज जब खुद अपने पति की लंबी उम्र की कामना से सारा दिन भूखे रहकर अपने वैवाहिक जीवन के भविष्य के बारे में सोचा तो पता चला कि इस व्रत की क्या महत्ता है। इस व्रत ने पूर्ण रूप से सुहागिन होने का अहसास करवाया है। शादी के बाद पहले करवाचौथ व्रत का जो महत्व सुहागिन के जीवन में होता है, वह किसी और पर्व का नहीं होता। वास्तव में पति पत्नी गृहस्थी के दो पहिये हैं जो एक दूसरे के बिना आगे नहीं बढ़ सकते।

करवाचौथ ने करवाया अलग अहसास लवीश कुमार की पत्नी मुस्कान ने कहा कि उसकी शादी हुए अभी एक माह ही हुआ है। तब दुल्हन के रूप में सजने पर एक अलग सा अहसास हुआ। वहीं शादी से पहले से लेकर शादी के बाद की रस्मों को निभाने और अपने पिया के घर में ससुराल वालों के दिल में जगह बनाने के अब तक के सफर में करवाचौथ व्रत का जो मुकाम आया है, उसने सही मायनों में सुहागिन होने का अहसास करवाया है। भले ही उसके ससुराल में करवे का व्रत रखने की प्रथा नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उसने वह सारी चीजें की जो एक करवाचौथ रखने वाली सुहागिन करती है। रात के समय उसने पति के साथ साथ परिवार की सलामति की दुआ मांगी। श्रृंगार कर ताजा हुई शादी की यादें वहीं प्रतिक की पत्नी सोनाली ने कहा कि शादी पर दुल्हन बनने के बाद सजने संवरने का दूसरा सबसे बड़ा मौका करवाचौथ के रूप में आया है। उसने अपनी तीन माह पहले हुई शादी के मौके एक युवती से पत्नी बनने का जो अहसास प्राप्त किया था, वह करवाचौथ व्रत मौके फिर से ताजा हो गया है। वैसे तो शादी में मेकअप व अन्य सामान की पूरी खरीददारी की थी, लेकिन उसने करवाचौथ पर भी खरीददारी का मौका छोड़ा नहीं। जीवन साथी के रूप में उन्हें एक अच्छा पार्टनर मिला है और उसकी लंबी आयु के लिए यह व्रत कुछ भी नहीं है।

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