सातवें दिन रामलीला में सुग्रीव-बाली युद्ध का मंचन
ासमंडी में श्री सेवा समिति सभा द्वारा लगातार रामलीला का मंचन किया जा रहा है। इसके तहत बीती रात कलाकारों ने राम-हनुमान मिलन बाली-सुग्रीव संवाद बालि वध सुग्रीव के राजतिलक की लीला का मंचन किया। इस दौरान राम-हनुमान मिलन की लीला ने दर्शकों की आंखें नम कर दी।
संवाद सूत्र, फाजिल्का : घासमंडी में श्री सेवा समिति सभा द्वारा लगातार रामलीला का मंचन किया जा रहा है। इसके तहत बीती रात कलाकारों ने राम-हनुमान मिलन, बाली-सुग्रीव संवाद, बालि वध, सुग्रीव के राजतिलक की लीला का मंचन किया। इस दौरान राम-हनुमान मिलन की लीला ने दर्शकों की आंखें नम कर दी। सबसे पहले मेहमानों द्वारा रामायण जी की आरती उतारकर रामलीला के मंचन की शुरुआत करवाई गई।
सभा के डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले सीता की खोज में राम वन-वन घूमते हुए ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंच गए हैं। वहां पर राम और लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव के मन में शंका हो रही है। दोनों भाइयों के बारे पता लगाने के लिए हनुमान को भेजते हैं। इस पर हनुमान ब्राह्मण का रूप धरकर गए। इसके बाद प्रभु राम ने अपना परिचय दिया और वन में भ्रमण करने के कारणों के बारे में बताया। इसके बाद प्रभु राम को पहचानकर हनुमान ने उनके चरण पकड़ लिए। यह दृश्य देखकर दर्शक भावुक हो गए। इसके बाद रामलीला मंच पर वानर राज बाली का दरबार दिखाया जाता है। जहां हनुमान द्वारा राम-लक्ष्मण की सुग्रीव से मुलाकात का वृतांत सुनाता है। इतनी ही देर में बाली के महल के बाहर आकर सुग्रीव उसे युद्ध के लिए ललकारता है। दोनों भाईयों में गदा युद्ध होता है। श्री राम अपने धनुष से बाली को मार देते हैं। इसके बाद सुग्रीव का राजतिलक होता है। मुख्य मेहमान समरबीर सिद्धू ने कहा कि रामलीला हमारी धरोहर हैं। यह संयुक्त परिवार, बड़े-छोटे का सम्मान सिखाती है। इसका हर प्रसंग जीवन में सीख देती है।