सफाई सेवकों की हड़ताल जारी, शहर में चरमराई सफाई व्यवस्था
कर्मचारियों की हड़ताल से शहर में हर जगह जमा हुई गंदगी। जागरण संवाददाता फाजिल्का एक तरफ जहां कोरोना महामारी का कहर कम होने का नाम नह
जागरण संवाददाता, फाजिल्का :
एक तरफ जहां कोरोना महामारी का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा, वहीं रहा, वहीं दूसरी तरफ अब सफाई सेवकों की हड़ताल के चलते शहर में सफाई व्यवस्था चरमराने लगी है। दो दिन तक घरों मे कूड़े के डिब्बों में एकत्रित करके बैठे लोगों ने परेशान होकर गलियों की नुक्कड़ पर कूड़े के ढेर लगाने शुरू कर दिया है। जिस कारण जहां इन गंदगी के ढेरों से उठने वाली बदबू से यहां से गुजरने वाले लोग परेशान हैं, वहीं इन पर मंडरा रहे बेसहारा पशु समस्या को और बढ़ा रहे हैं।
दूसरी तरफ सफाई सेवकों का कहना है कि जब तक उनकी 17 मांगों का हल नहीं होता तब तक उनकी हड़ताल इसी तरह जारी रहेगी। फाजिल्का शहर की बात करें तो पहले ही कई जगह डंप स्टेशन न होने के कारण लोग वहां कचरा फेंकते थे, लेकिन अब 13 मई से सफाई कर्मचारियों की हड़ताल होने के चलते यहां की स्थिति और भी खराब हो गई है। इनमें राजा सिनेमा रोड पर बने कम्युनिटी हाल का हाल कुछ ऐसा ही है। जहां नुक्कड़ पर फैला कचरा अब सड़क पर आने लगा है। वहीं सबसे बुरा हाल कालेज रोड का है। जहां एक जगह पर डंप स्टेशन होने के चलते लोगों ने अपने घरों का इतना कूड़ा चार दिनों में फेंका कि डंप के आसपास गंदगी ही गंदगी भर गई है। वहीं शनिदेव मंदिर के निकट भी लगातार लोग घरों का कूड़ा फेंक रहे हैं। जिस कारण यहां से गुजरने वाले लोगों खासकर शनिदेव, बाबा खेत्रपाल व एक अन्य मंदिर में आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बेसहारा मवेशी भूख के चलते इन पर मंडराते रहते हैं। धोबीघाट मोहल्ला निवासी संतोष रानी ने बताया कि घरों से कूड़ा उठाने वाले रेहड़ी चालकों के ना आने के चलते रोजाना लोग घरों का कूड़ा लाकर गली की नुक्कड़ पर फेंक रहे हैं। जिस कारण इनसे उठने वाली बदबू से वह काफी परेशान हैं। अगर वह उन्हें रोकते हैं तो यह लड़ाई का विषय बन सकता है। इसलिए उन्होंने सरकार व नगर कौंसिल से जल्द इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। मागों को लेकर सफाई कर्मियों ने किया प्रदर्शन
सफाई कर्मचारी 13 मई से अपनी मांगों को लेकर पूर्ण हड़ताल पर चले गए हैं। सफाई कर्मचारी ने पिछले कई सालों से हो रहे शोषण के खिलाफ मजबूर होकर अनिश्चित काल की हडताल पर जाने का फैसला लिया है। जिसके तहत मांगों को लेकर उनके द्वारा रोष प्रदर्शन किया गया। यूनियन के प्रांतीय सीनियर उपाध्यक्ष फतेह चंद बोहत ने बताया कि सफाई कर्मचारी पिछले 20 सालों से ठेकेदारी सिस्टम के अधीन कार्य कर रहे हैं। सरकार ने इनकी तरफ कभी ध्यान नहीं दिया। उन्होंने मांग की कि बराबर काम बराबर वेतन के अधार पर पक्का किया जाए, पे कमिशन लागू किया जाए, पेंशन बहाल की जाए, डीए की किश्तें आदि जल्द जारी की जाए। उन्होंने कहा कि लाकडाउन में जब सब लोग घरों में कैद थे तो सफाई कर्मचारियों ने कोरोना योद्धा के रूप में घर-घर जाकर स्वच्छता के लिए कदम उठाए। लेकिन सरकार उनको कब से अनदेखा कर रही थी। जिसके चलते संघर्ष शुरू किया गया है।