कर्म के बिना अच्छे फल की कामना व्यर्थ : स्वामी

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के फाजिल्का स्थित आश्रम में विशेष आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 10:00 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 10:00 PM (IST)
कर्म के बिना अच्छे फल की कामना व्यर्थ : स्वामी
कर्म के बिना अच्छे फल की कामना व्यर्थ : स्वामी

संवाद सूत्र, फाजिल्का : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के फाजिल्का स्थित आश्रम में विशेष आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद ने उपस्थित श्रद्धालुओं को कर्म की महानता बताते हुए कहा कि मानव जीवन की धुरी है कर्म। कर्मशीलता ही मनुष्य के जीवन का पर्याय हैं। लेकिन इस क्रियाशीलता के साथ एक गंभीर समस्या जुड़ी हुई है, वह यह है कि मनुष्य का प्रत्येक कर्म उसे बांधता है। कभी लोहे तो कभी रत्न मंडित सुनहरी बंधन में। तुझे है कर्म का अधिकार केवल, नहीं है हाथ में तेरे फलाफल। फलाशा में कभी आसक्त मत हो निरंतर कर्म रत हो, कर्म रत हो। यह घोषणा आज से सदियों पूर्व कुरुक्षेत्र की कर्म भूमि पर हुई थी उद्घोषक थे स्वयं भगवान श्री कृष्ण। कर्म के संदर्भ में भ्रमित अर्जुन का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा था-हे कर्मवीर पार्थ तू अपने कर्तव्य से कैसे च्युत हो सकता है। अपने कर्म से विमुख की तो मृत्यु है। अपने गांडीव पर प्रत्यंचा चढ़ा और उत्साह से अपने कर्म क्षेत्र में डट जा पर, सावधान एक बात का विशेष ध्यान रखना कर्म के प्रतिफल में तनिक भी आसक्त ना होना। तू कर्म भूमि पर तो पूरी कर्मठता से बीजारोपण करना, लेकिन हृदय भूमि पर फल आशा का अंकुर मत होने देना। इसके अनुपालन द्वारा ही हम कर्म बंधनों से मुक्त रह सकते हैं। सत्संग के बाद स्वामी धीरानंद ने नूरमहल में बन रहे दिव्य दर्शन भवन के विषय में बताया कि दिव्य दर्शन भवन तीन एकड़ में बन रहा है। इस भवन में 800 से अधिक लोग एक साथ ध्यान साधना कर सकेंगे और 2000 से अधिक लोग बैठक कर सकेंगे। इस भवन का निर्माण कार्य दिसंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा।

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