शराब फैक्ट्री के विरोध में 11वें दिन भी जारी रहा धरना
गांव हीरांवाली में शराब फैक्ट्री के विरोध में ग्रामीणों का धरना वीरवार को जहां 11वें दिन में प्रवेश हो गया वहीं भूखहड़ताल भी सातवें दिन जारी रही। इस दौरान पिछले तीन दिनों से जहां दंपती विनोद झींझा व नमिता देवी मरणव्रत पर बैठी हैं वहीं वीरवार को गांव हीरावाली निवासी महिला शारदा भी मरणव्रत पर बैठ गई।
संवाद सूत्र, खुईखेड़ा (फाजिल्का) :
गांव हीरांवाली में शराब फैक्ट्री के विरोध में ग्रामीणों का धरना वीरवार को जहां 11वें दिन में प्रवेश हो गया, वहीं भूखहड़ताल भी सातवें दिन जारी रही। इस दौरान पिछले तीन दिनों से जहां दंपती विनोद झींझा व नमिता देवी मरणव्रत पर बैठी हैं, वहीं वीरवार को गांव हीरावाली निवासी महिला शारदा भी मरणव्रत पर बैठ गई। इसके अलावा गौमती, कूना देवी, जसकोरी देवी, उर्मिला देवी, शारदा, कलावती के साथ साथ रमन कुमार, रामपाल, जगदीश, पवन झींझा, विक्रम झींझा भूखहड़ताल पर बैठे।
इस मौके आल पंजाब आंगनावाड़ी कर्मचारी यूनियन ने धरने पर बैठे लोगों का समर्थन किया है और पंजाब सरकार की ओर से यहां लगाई जा रही शराब की फैक्ट्री का सख्त विरोध किया है। यूनियन के प्रांतीय प्रधान एवं स्त्री व बाल भलाई संस्था पंजाब के चेयरपर्सन हरगोबिंद कौर अपनी टीम सहित गांव हीरांवाली में पहुंची। उन्होंने कहा कि एक तरफ कैप्टन अमरिदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार नशों को बंद करने की बात कह रही है, लेकिन दूसरी तरफ नशें को बढ़ावा देने के लिए शराब की नई फैक्ट्रियां लगाई जा रही हैं, जबकि शराब पीने के साथ पहले ही अनेकों लोगों की मौत हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसी फैक्ट्रियां लगने से आसपास का सारा वातावरण प्रदूषित व खराब होता है और लोगों को कई तरह की भयानक बीमारियां लगने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि शराब फैक्ट्री के विरोध में यूनियन उनके साथ खड़ी है। इस मौके ग्रामीणों ने कहा कि पिछले दस दिनों से शराब फैक्ट्री को बंद करवाने के लिए ग्रामीण संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। लेकिन उनका धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक इसका निर्माण रद नहीं किया जाता।
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लोगों की परेशानियों का नहीं हो रहा हल
भले ही अबोहर से फाजिल्का और फाजिल्का से अबोहर अपने कार्यो पर जाने वाले लोग कम हैं। लेकिन यह हाईवे दूर दराज शहरों को आपस में जोड़ता है, जिस कारण हाइवे पर चलने वाले बड़े वाहन चालकों को लिक सड़कों से गुजरने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो वाहनों की लंबी लाइनें लिक रोड़ पर लग जाती हैं। जबकि 30 मिनट का सफर तय करने में दोगुणा समय लग रहा है।