पराली न जलाने से बढ़ा फसल से मुनाफ

अबोहर के गांव राजांवाली का 34 वर्षीय नौजवान किसान ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद 15 साल से पराली को बिना जलाए खेती कर रहा है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 09:51 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 09:51 PM (IST)
पराली न जलाने से बढ़ा फसल से मुनाफ
पराली न जलाने से बढ़ा फसल से मुनाफ

संवाद सहयोगी, अबोहर : अबोहर के गांव राजांवाली का 34 वर्षीय नौजवान किसान ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद 15 साल से पराली को बिना जलाए खेती कर रहा है, जिससे जहां किसान पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है, वहीं पराली न जलाने से किसान फसल से भी अधिक मुनाफा कमा रहा है।

किसान जसरीत के अनुसार कुछ समय पहले धान की पराली को आग लगाने के साथ साथ गेहूं की नाड़ को भी आग लगाने का आम रुझान था, लेकिन उसने कुछ अलग करने के प्रयास शुरू किए। वह पिछले पांच साल से खेतीबाड़ी विभाग की ओर से लगाए जाने वाले कैंपों में जाने लगा व पराली को आग लगाने की बजाय खेत में ही पराली को मिलाकर इसका निपटारा करता है। उसने धान की कटाई के बाद जमीन में मलचर चलाया व उसके बाद जीरो ड्रिल की मदद से गेहूं की बिजाई की। वह चोपर, पलाओ व बेलर की मदद से खेती करके ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर रहा है, जिससे फसल का झाड़ भी अधिक प्राप्त होता है। उन्होंने अन्य किसानों को भी संदेश दिया कि पराली को आग न लगाकर जमीन की सेहत व इंसान की सेहत का ख्याल रखते हुए वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सहयोग करें। रसायनिक खादों व कीटनाशकों का नहीं करते प्रयोग

किसान जसरीत सिंह के अनुसार वह रसानिक खादों, कीटनाशक दवाइयों व खादों को कम इस्तेमाल करता है। वह हमेशा ही खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग से जुडा हुआ है व विभाग के दिशा निर्दशों के अनुसार ही खेती करता है। वह प्रत्येक साल जीरो ड्रिल व हैपी सीडर के इस्तेमाल से फसल की बिजाई करता है व अधिक झाड प्राप्त करता है।

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