प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले मसालों की कीमत स्थिर, घटी मांग

कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्गो व बचों को ही बनाया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 07:05 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 07:05 PM (IST)
प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले मसालों की कीमत स्थिर, घटी मांग
प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले मसालों की कीमत स्थिर, घटी मांग

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्गो व बच्चों को ही बनाया है। जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष मंत्रालय के प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के उपायों का जिक्र लोगों के समक्ष किया। इसके बाद देश भर में आयुर्वेदिक काढ़ा व गोल्डन मिल्क का लोगों ने इस्तेमाल किया। इसी बीच बाजारों में प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले मसालों की डिमांड में बढ़ी, हालांकि इन मसालों की कीमतों में कोई ज्यादा अंतर नहीं आया। अब जब इसकी मांग कम हो गई है, तो इसके रेट ओर भी कम हो गए हैं।

शरीर में प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले काढ़े को काली मिर्च, दाल चीनी व अन्य कई मसालों से तैयार किया जाता है। इसमें मुनक्का और नींबू का रस भी डाला जाता है। इसके अलावा दूध में हल्दी डालकर पीने से भी प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।

किराना एसोसिएशन के सदस्य राजन कुक्कड़ ने बताया कि मसालों की कीमतों में कोई अंतर नहीं आया है। लॉकडाउन से पहले जो काली मिर्च 500 रुपये किलो थी, वह अब भी 500 रुपये में मिल रही है। इसके अलावा दाल चीनी पहले 280 रुपये किलो थी, जो अब 275 रुपये किलो मिलती है। वहीं, सौंठ का मूल्य पहले 240 रुपये किलो था, जो अब 220 रुपये किलो है। इसके अलावा मुनक्का के दाम में कुछ वृद्धि हुई है। जो मुनक्का लॉकडाउन से पहले 360 रुपये में बिक रहा था, वह अब 380 रुपये में बिक रहा है, इसका कारण पीछे से इसकी कमी होना है। बाजार में भीड़ ज्यादा, ग्राहक कम

फाजिल्का के विभिन्न बाजारों की बात करें तो भले ही लॉकडाउन-5 में काफी रियायतें मिलने से बाजारों में लोगों की भीड़ बड़ी है, लेकिन किराना, किताबें, खाने-पीने की दुकानें आदि पर ग्राहकों की संख्या काफी कम है। इसका कारण लोगों के पास पैसों की कमी बताया जा रहा है। व्यापार न होने के कारण लोग पैसा खर्च करने से परहेज कर रहे हैं।

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