चार साल से नहीं लगाई पराली को आग, किसान हो रहा खुशहाल

पराली को आग लगाने से वातावरण पर इसका असर दिखने लगा है। आसमान धुंधला सा दिखाई देने लगा है। दूसरी तरफ कई युवा किसान पराली न जलाकर व लोगों को प्रेरित कर वातावरण को बचाने का प्रयास भी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 03:18 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 03:18 PM (IST)
चार साल से नहीं लगाई पराली को आग, किसान हो रहा खुशहाल
चार साल से नहीं लगाई पराली को आग, किसान हो रहा खुशहाल

संवाद सहयोगी, अबोहर : पराली को आग लगाने से वातावरण पर इसका असर दिखने लगा है। आसमान धुंधला सा दिखाई देने लगा है। दूसरी तरफ कई युवा किसान पराली न जलाकर व लोगों को प्रेरित कर वातावरण को बचाने का प्रयास भी कर रहे हैं।

गांव राजांवाली के किसान राजकमल ने पिछले चार वर्षों से धान की पराली को आग नहीं लगाई। इस कारण उसकी फसल का उत्पादन भी अधिक प्राप्त हुआ है। 36 वर्षीय राजकमल किसान का कहना है कि ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के बाद पिछले आठ सालों से खुद खेती कर रहा है। उसका कहना है कि पहले वह भी दूसरे किसानों की देखादेखी धान की पराली को आग लगाने के साथ साथ गेहूं की नाड़ को भी आग लगाता था। कृषि विभाग द्वारा लगाए जाने वाले जागरूकता कैंपों में शामिल होने के बाद पराली न जलाने का प्रण किया कि वह कभी पराली को आग नहीं लगाएगा। उसने बताया कि वह पिछले चार सालों से खेतीबाड़ी विभाग के कैंपों में जाने ला व पराली को आग नहीं लगाई।

किसान राजकमल ने खेतीाबाड़ी व किसान भलाई विभाग पंजाब के निर्देशानुसार हैप्पी सीडर व सुपर सीडर की मदद के साथ खेत में गेहूं की बिजाई करने लगा जिससे उसको उसकी फसल का दो से तीन क्विंटल झाड़ की बढ़ोतरी हुई। किसान राजकमल ने बताया कि उसने माहिरों के कहने पर जमीन व रासायनिक खादों का इस्तेमाल किया व पहले से काफी कम खाद का इस्तेमाल किया। उसने बताया कि वह लगातार कृषि विभाग व किसान भलाई विभाग के साथ जुड़ा हुआ है व विभाग के दिशा निर्देश की पालना करता है। वह अपने संदेश में कहता है कि किसानों को पराली को आधुनिक यंत्रों से खेत में मिलाकर गेहूं की बिजाई करें। पराली को आग न लगाकर जमीन की सेहत व इंसानों की सेहत का ध्यान रखते हुए वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सहयोग करें।

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