एक सप्ताह से ओपीडी बंद, निजी अस्पतालों में जा रहे मरीज

छठे वेतन आयोग के विरोध में डाक्टरों की हड़ताल भले ही समाप्त हो गई। लेकिन अभी भी इस बात पर फैसला नहीं हो पाया है कि वीरवार को ओपीडी एक बार फिर से शुरू हो जाएगी या नहीं। लेकिन इतना तय है कि डाक्टर पिछले एक सप्ताह से परेशान हो रहे मरीजों का चेकअप करेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Jul 2021 10:58 PM (IST) Updated:Wed, 14 Jul 2021 10:58 PM (IST)
एक सप्ताह से ओपीडी बंद, निजी अस्पतालों में जा रहे मरीज
एक सप्ताह से ओपीडी बंद, निजी अस्पतालों में जा रहे मरीज

संवाद सूत्र, फाजिल्का : छठे वेतन आयोग के विरोध में डाक्टरों की हड़ताल भले ही समाप्त हो गई। लेकिन अभी भी इस बात पर फैसला नहीं हो पाया है कि वीरवार को ओपीडी एक बार फिर से शुरू हो जाएगी या नहीं। लेकिन इतना तय है कि डाक्टर पिछले एक सप्ताह से परेशान हो रहे मरीजों का चेकअप करेंगे। इसके अलावा बुधवार को भी हड़ताल के कारण अस्पताल परिसर सूना रहा और चंद लोग ही अस्पताल में डाक्टर हैं या नहीं देखकर लौटते हुए नजर आए।

उधर हड़ताल कर रहे डाक्टरों का कहना है कि वह पिछले एक सप्ताह से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बात नहीं सुन रही। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना योद्धा बनकर अपनी सेवाएं दी। इस दौरान कई डाक्टर कोरोना संक्रमित भी हुए और कुछ ने अपनी जान भी गंवाई। उन्होंने कहा कि डाक्टरों को उम्मीद थी कि सरकार उनकी हौसलाअफजाई के लिए नए पे कमीशन में उनकी सभी मांगों को मान लेगी लेकिन सरकार ने तो पहले दिए जा रहे एनपीए की दर को भी कम कर दिया और उसे बेसिक तनख्वाह का हिस्सा न मानते हुए डाक्टरों का मनोबल गिराने का काम किया है, जिसके चलते हड़ताल करके संघर्ष की शुरूआत की गई है। उन्होंने कहा कि उक्त हड़ताल 12 से 14 जुलाई तक की थी, लेकिन आगे की रणनीति का फैसला प्रांतीय कमेटियों द्वारा किया जाना है। लेकिन इतना तय है कि डाक्टर वीरवार को अस्पताल में आने वाले मरीजों की जांच करेंगे। उधर पिछले एक सप्ताह से चल रही हड़ताल के कारण लोगों को प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह वीरवार व शुक्रवार को पंजाब एडस कंट्रोल कमेटी ने दो दिवसीय हड़ताल रखकर ओपीडी बंद रखी तो शनिवार और रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को डाक्टरों ने तीन दिवसीय हड़ताल रखने का फैसला लिया। जिससे मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी।

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