भगवान महावीर के दिखाए मार्ग पर चलने का लिया संकल्प
गुरु आत्मवल्लभ जैन आदर्श विद्यालय में भगवान महावीर स्वामी की जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई।
संवाद सूत्र, फाजिल्का : गुरु आत्मवल्लभ जैन आदर्श विद्यालय में भगवान महावीर स्वामी की जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम में प्रिसिपल नरेश कुमार सपड़ा व मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन एडवोकेट अनिल जैन ने विशेष रूप से शिरकत की। मैनेजमैंट पदाधिकारियों व अध्यापकों ने भगवान महावीर जी को नमन करते हुए उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
इस मौके प्रिसिपल नरेश कुमार सपड़ा ने कहा कि भगवान महावीर ने पूरी दुनिया को शांति का रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के हिसा, सभी से प्रेम और परोपकार के सिद्धांत आज के दौर में सर्वाधिक प्रासंगिक है और इन सभी सिद्धांतों को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। सपड़ा ने कहा कि महावीर जी की शिक्षाएं युवाओं को आज की भागमभाग और तनाव भरी जिदगी में सुकून की राह दिखाते हैं। महावीर की अहिसा केवल शारीरिक या बाहरी न होकर, मानसिक और भीतर के जीवन से भी जुड़ी है। दरअसल, जहां अन्य दर्शनों की अहिसा समाप्त होती है, वहां जैन दर्शन की अहिसा की शुरुआत होती है। महावीर मन-वचन-कर्म, किसी भी जरिए की गई हिसा का निषेध करते हैं। इस मौके चेयरमैन एडवोकेट अनिल जैन ने कहा कि बचपन में महावीर का नाम वर्धमान था। उन्होंने तीस वर्ष की उम्र में राजमहल का सुख-वैभवपूर्ण जीवन त्याग कर तपोमय साधना का रास्ता अपना लिया। इन्होंने कठोर तप से सभी इच्छाओं और विकारों पर काबू पा लिया इसलिए वर्धमान अब महावीर कहलाने लगे। उन्होंने कहा कि महावीर ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका- इन चार तीर्थों की स्थापना की और इसलिए यह तीर्थंकर कहलाए। यहां तीर्थ का अर्थ लौकिक तीर्थों से नहीं बल्कि अहिसा, सत्य आदि की साधना द्वारा अपनी आत्मा को ही तीर्थ बनाने से है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया को भगवान महावीर के सत्य, अहिसा, त्याग, अपरिग्रह और संयम रूपी संदेश को अपनाने की जरूरत है।