36 साल से शिक्षा के साथ दे रहे नैतिक मूल्यों की जानकारी

भले ही आज हर क्षेत्र में पढ़ाई का महत्व ज्यादा है। लेकिन कंपीटिशन के साथ साथ महंगी हो रही पढ़ाई ने अभिभावकों को परेशानी में डाला हुआ है। भले ही स्कूलों में बच्चों को हर विषय की पढ़ाई अच्छे से करवाई जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 10:42 AM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 10:42 AM (IST)
36 साल से शिक्षा के साथ दे रहे नैतिक मूल्यों की जानकारी
36 साल से शिक्षा के साथ दे रहे नैतिक मूल्यों की जानकारी

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : भले ही आज हर क्षेत्र में पढ़ाई का महत्व ज्यादा है। लेकिन कंपीटिशन के साथ साथ महंगी हो रही पढ़ाई ने अभिभावकों को परेशानी में डाला हुआ है। भले ही स्कूलों में बच्चों को हर विषय की पढ़ाई अच्छे से करवाई जा रही है। लेकिन आज भी कई बच्चे ट्यूशन लेने के लिए मजबूर हैं। तो वहीं कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने के कारण तो बच्चों को ज्यादातर ट्यूशन का ही सहारा लेना पड़ा। ऐसे में फाजिल्का की संस्था सेवा भारती पिछले 36 सालों से बाल संस्कार केंद्र चलाकर शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षित कर रही है।

संस्था की ओर से जहां गर्मी व सर्दी में हर रोज दो घंटे की टयूशन दी जा रही है, वहीं बच्चों को नैतिक मूल्यों बारे में जानकारी दी जा रही है। सेवा भारती की ओर से फाजिल्का शहर में एक और ग्रामीण क्षेत्र में तीन बाल संस्कार केंद्र चलाए जा रहे हैं। इनमें से फाजिल्का के गांधी नगर में गोबिद राम लाइब्रेरी में चल रहे बाल संस्कार केंद्र में पहली से लेकर आठवीं तक के 58 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा आठवीं से ऊपर यानि नौवीं और दसवीं के भी कुछ बच्चे ट्यूशन लेने के लिए आ रहे हैं। संस्था की ओर से एक बाल संस्कार केंद्र गांव बांधा के प्राइमरी स्कूल, एक बाल संस्कार केंद्र गांव सैनियां के पंचायत घर में और एक बाल संस्कार केंद्र गांव सुरेशवाला के पंचायत घर में चलाया जा रहा है, जहां कुल 100 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। भले ही कुछ समय तक कोरोना महामारी के चलते यह केंद्र बंद रहे, लेकिन अब इन्हें फिर से खोल दिया गया है। भले ही इस साल बच्चे केवल 158 हैं, लेकिन कोरोना महामारी से पहले इन बच्चों की संख्या 200 से अधिक हो जाती थी। इसके अलावा बच्चे इस पढ़ाई को निश्शुल्क ना समझे और लग्न लगाकर पढ़ें, इसके लिए संस्था द्वारा पूरे माह के पहले 10 रुपये और अब 20 रूपये लिए जाते हैं। इसके अलावा इन बाल संस्कार केंद्रों में हर 20 बच्चों के लिए एक अध्यापिका नियुक्त की गई है, जो गर्मियों में शाम चार से छह बजे तक और सर्दियों में दोपहर साढ़े तीन से साढ़े पांच बजे तक बच्चों को शिक्षा देती है। बच्चे कर रहे पोजिशनें हासिल

सेवा भारती की महासचिव रमा भारती शर्मा ने बताया कि संस्था पिछले दस सालों से यहां बच्चों को पढ़ाई करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आज स्कूल से बच्चों की ट्यूशन फीस ज्यादा है। ऐसे में संस्था का एकमात्र उद्देश्य पढ़ाई में होशियार बच्चों को पढ़ाई करवाकर उन्हें तराशना है, जिसके चलते अब तक कई बच्चे केंद्र से शिक्षा हासिल करके पोजिशनें हासिल कर चुके हैं।

मनाया जाता है हर दिवस

सेवा भारती की ओर से बाल संस्कार केंद्र में पढ़ रहे बच्चों को ना केवल शिक्षा दी जाती है। बल्कि उनके साथ हर तरह के दिवस को मनाकर उन्हें उस दिवस के बारे में जानकारी दी जाती है। सेवा भारती की ओर से होली, माघी, बसंत, 15 अगस्त, 26 जनवरी, दीपावली, राखी, माृत-पितृ दिवस के अलावा अन्य त्यौहार समय-समय पर मनाए जाते हैं। ताकि बच्चों को समाज की मुख्य धारा के साथ अभी से जोड़ा जा सके। इसके अलावा संस्था द्वारा सिलाई सेंटर और कंप्यूटर सेंटर भी चलाए जा रहे हैं। जो युवाओं को हुनरमंद बनाने में सहायक साबित हो रहे हैं।

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