कोरोना के बाद किन्नू पर मौसम की मार

अबोहर के जिस किन्नू की विदेशों में डिमांड रहती है वहीं किन्नू अब बागवानों के लिए चिता का सबब बन रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 11:20 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 11:20 AM (IST)
कोरोना के बाद किन्नू पर मौसम की मार
कोरोना के बाद किन्नू पर मौसम की मार

राज नरूला, अबोहर : अबोहर के जिस किन्नू की विदेशों में डिमांड रहती है, वहीं किन्नू अब बागवानों के लिए चिता का सबब बन रहा है। पहले कोरोना के कारण किन्नू के बागों के ठेके नहीं हो पाए तो उसके बाद कोरोना के कारण व्यापारियों ने आना मुनासिब नहीं समझा, जिसके चलते अब तक किन्नू की करीब 60 से 70 फीसदी फसल तैयार बागों में ही खड़ी है। अब रही सही कसर मौसम पूरी कर रहा है। किन्नू बिलकुल तैयार है तो ऐसे में धुंध व ठंड दोनों ही इसके लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। बागवानों का कहना है कि इस मौसम में किन्नू की ड्रापिग होने लगती है और किन्नू पौधों से नीचे गिरने लगता है।

गांव अमरपुरा के बागवान गुलाब राम व ओम प्रकाश ने बताया कि इस बार किन्नू घाटे का सौदा ही साबित हो रहा है। इस बार कोरोना के कारण बागों के ठेके हीं नहीं हो पाए, जबकि पहले कच्चे फल के समय ही ठेके हो जाया करते थें। इसके बाद बागवानों ने खुद किन्नू की सार संभाल की व जब किन्नू बिकने की बारी आई तो मंडी में पहले के मुकाबले बाहर से व्यापारी नहीं आए, लिहाजा मंडी में किन्नू की डिमांड ही कम रहीं, जिस कारण किन्नू की फसल मात्र 30 से 40 फीसदी तक ही मुश्किल से बिक पाई है, जबकि 60 से लेकर 70 फीसदी फसल बागों में ही तैयार खड़ी है। किसानी आंदोलन का असर भी किन्नू की मार्केट पर पड़ा। उन्होंने बताया कि अब उम्मीद थी कि बाजार में किन्नू की डिमांड बनेगी तो भाव भी अच्छा मिलेगा तो अब मौसम खराब चल रहा है, जिस कारण बाजार व मंडी में इसकी डिमांड ही नहीं बन पाई है। उन्होंने बताया कि जिस तरह का मौसम चल रहा है उससे किन्नू की ड्रापिग होनी शुरू हो गई है, जिसका खामियाजा भी बागवानों को भुगतना पड़ेगा व इससे आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से बागवानों की सुध लेने की मांग की है।

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धूप खिले तो कुछ राहत मिलेगी बागवानों को

बागवान गुलाब राम व ओम प्रकाश ने बताया कि अगर धूप लगातार खिले तो किन्नू की डिमांड बढ़ेगी व डिमांड बढ़ने से किन्नू का भाव भी अच्छा मिलने लगेगा। उन्होंने कहा कि धूप खिलने से किन्नू की ड्रापिग भी नहीं होगी। किन्नू से होने लगा बागबानों का मोह भंग

बल्लुआना के बागवान नरेश कंबोज ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो बागवानों का किन्नू से मोह भंग हो जाएगा व इस बार हुए घाटे से अनेक बागवान किन्नू की जगह कुछ नया करने या गेहूं व नरमे की खेती करने को ही विवश हो जाएंगे।

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