आठ साल से पराली नहीं जला रहा किसान गुरविंदर

पिछले कुछ सालों से पर्यावरण दूषित हो रहा है। वैसे तो आज की पीढ़ी किसानी से पीछे हटती जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 09:58 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 09:58 PM (IST)
आठ साल से पराली नहीं जला रहा किसान गुरविंदर
आठ साल से पराली नहीं जला रहा किसान गुरविंदर

संवाद सूत्र, फाजिल्का : पिछले कुछ सालों से पर्यावरण दूषित हो रहा है। वैसे तो आज की पीढ़ी किसानी से पीछे हटती जा रही है। लेकिन जिला फाजिल्का के गांव कुंडल के 48 वर्षीय किसान गुरविदर सिंह आज के समय में किसानों के लिए मिसाल बन गया है।

गुरविंदर सिंह 12वीं की पढ़ाई करने के बाद पिछले 20 साल से खेती कर रहे हैं। उस समय धान की पराली को आग लगाने के साथ-साथ गेहूं की नाड़ को भी आग लगाने का आम ही रुझान था। लेकिन किसान ने कुछ अलग करने के यत्न किए और पिछले आठ साल से किसान कृषि विभाग के कैंपों में जाने लगा और इसने धान की कटाई करने के बाद जमीन में मल्च चलाया और उस के बाद जीरो ड्रिल की सहायता से गेहूं की बिजाई की। इसके अलावा एक जगह पर हैप्पी सीडर के साथ बिजई की। दोनों तरह की बिजाई से उसे काफी लाभ हुआ और गेहूं का झाड़ भी अच्छा रहा। धान की पराली को जमीन में मिलाने से गेहूं और धान की फसल को बहुत लाभ होता है क्योंकि इससे मित्र कीटों की मात्रा में बहुत विस्तार होता है जिससे पर्यावरण दूषित होने से बचता है। यह किसान पिछले आठ सालों से कृषि और किसान भलाई विभाग के साथ जुड़ा हुआ है। गुरविंदर सिंह र साल हैप्पी सीडर और जीरो ड्रिल के साथ बिजाई करके दूसरे किसनों से अधिक झाड़ ले कर मार्गदर्शक बना हुआ है।

आनलाइन की बजाय दुकानदारों से खरीददारी करें लोग : चुघ संस, अबोहर : अरोड़ा विकास मंच के प्रधान गगन चुघ ने इलाका निवासियों से फेस्टिवल सीजन में आनलाइन खरीददारी न कर अबोहर के लोकल दुकानदारों से ही सामान खरीदने की अपील की है। चुघ ने कहा कि पिछले डेढ़ साल के कोरोना काल और लाकडाउन ने सारी मार्केट को बर्बाद कर दिया है, जिससे अर्थव्यवस्था ठप्प होकर रह गई है। अब फेस्टिवल सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में हम सभी का फर्ज बनता है कि अपने साम‌र्थ्य अनुसार लोकल दुकानदारों से सामान जरूर खरीदें। आज हम सब ये संकल्प लें कि इस फेस्टिवल सीजन में किसी भी ऑनलाइन कंपनी की बजाए अपने लोकल दुकानदार से सामान लेंगे। इससे न केवल दुकानदारों को आर्थिक मजबूती मिलेगी बल्कि उनके यहां काम करने वाले हेल्परों की भी नौकरी सुरक्षित होगी।

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