जीवन एक कोरा कागज : हरिचरण शास्त्री

आलमशाह रोड पर स्थित श्री अवधूत गणेश हरि सत्संग भवन में गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में चल रहे धार्मिक समारोह का एक माह से चल रहे श्री रामायण जी के पाठों के भोग के साथ समापन हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 04:19 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 06:06 PM (IST)
जीवन एक कोरा कागज : हरिचरण शास्त्री
जीवन एक कोरा कागज : हरिचरण शास्त्री

संवाद सूत्र, फाजिल्का : आलमशाह रोड पर स्थित श्री अवधूत गणेश हरि सत्संग भवन में गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में चल रहे धार्मिक समारोह का एक माह से चल रहे श्री रामायण जी के पाठों के भोग के साथ समापन हुआ। समारोह में विभिन्न संकीर्तन कमेटियों द्वारा कुटिया में पहुंचकर प्रभु का गुणगान किया गया। वहीं पंजाब के खेल मंत्री एवं यूथ सर्विसेज विभाग के प्रभारी राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी के पीए नसीब सिंह संधू विशेष रूप से पहुंचे। उनके साथ नगर कौंसिल प्रधान सुरिद्र सचदेवा व आढ़तिया एसोसिएशन के प्रधान दविद्र सचदेवा भी मौजद रहे।

इस मौके संत हरिचरण सिंह शास्त्री वेदांताचार्य ने श्रद्धालुओं को मानव जीवन का महत्व बताते हुए कहा कि जिदगी तीन पन्ने की किताब का नाम है। उसमें पहला पृष्ठ है जन्म का, जो मनुष्य को लिखा हुआ ही मिला है। तीसरे पृष्ठ का नाम है मृत्यु, वे भी लिखा हुआ ही मिला है। दूसरे नंबर का पन्ना है जीवन का, जो मनुष्य को कोरा ही मिलता है उस पर क्या लिखना है ये मनुष्य पर खुद निर्भर करता है। मजे की बात तो ये है कि उस पृष्ठ पर मनुष्य जो लिखेगा, जैसा लिखेगा उसी के आधार पर तीसरे नंबर का पन्ना मिलने वाला है। अर्थात मृत्यु का ये पृष्ठ निश्चित है, मगर ये पृष्ठ उज्जवल मिलेगा या मलिन, इसका निर्णय मनुष्य खुद जीवन के दूसरे पन्ने में लिखकर कर सकता है। अर्थात मनुष्य को कोरे जीवन में खुशियों का रंग खुद ही भरना पड़ता है। इस मौके सभा के चेयरमैन एलडी शर्मा, एडवोकेट सुभाष चंद्र कटारिया, प्रधान बिटू सचदेवा, बंसी सामा, अमित कुमार, इंदरजीत सिंह, राकेश सचदेवा, गोरा चीमा, चेतन खुराना व अन्य उपस्थित रहे।

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