डाक्टरों की हड़ताल और सरकार की 'हठताल' के बीच मरीज बेहाल

डाक्टरों की हड़ताल और सरकार की हठताल के बीच मरीजों की जान पर आ पड़ी है। एनपीए में कटौती करने के चलते डाक्टर करीब एक महीने से निरंतर हड़ताल पर है व ओपीडी समेत अनेक सेवाएं पूर्ण रूप से बंद होकर रह गई है। इस कारण मरीजों का दर्द बढ़ रहा है लेकिन इसकी परवाह न तो सरकार कर रही है न ही डाक्टर। लिहाजा दोनों अपनी अपनी बात पर अड़े हैं व इस बीच आम गरीब लोग पिस रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:24 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:24 PM (IST)
डाक्टरों की हड़ताल और सरकार की 'हठताल' के बीच मरीज बेहाल
डाक्टरों की हड़ताल और सरकार की 'हठताल' के बीच मरीज बेहाल

राज नरूला, अबोहर : डाक्टरों की हड़ताल और सरकार की 'हठताल' के बीच मरीजों की जान पर आ पड़ी है। एनपीए में कटौती करने के चलते डाक्टर करीब एक महीने से निरंतर हड़ताल पर है व ओपीडी समेत अनेक सेवाएं पूर्ण रूप से बंद होकर रह गई है। इस कारण मरीजों का दर्द बढ़ रहा है, लेकिन इसकी परवाह न तो सरकार कर रही है न ही डाक्टर। लिहाजा दोनों अपनी अपनी बात पर अड़े हैं व इस बीच आम गरीब लोग पिस रहे हैं।

सरकारी अस्प्ताल की बात करें तो यहां शहर के अलावा आसपास के गांवों के गरीब लोग अपना इलाज करवाने आते है। रिकार्ड के अनुसार अस्प्ताल की ओपीडी 400 से लेकर 600 प्रतिदिन की रहती है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने लोग बिन इलाज के ही तड़फ रहे हैं। नर सेवा नारयाण सेवा समिति के प्रधान राजू चराया ने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि डाक्टर पूरे राज्य में हड़ताल पर चल रहे हैं। इस कारण हजारों मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है व उन्हें दवा नहीं मिल रही है। इसके बावजूद सरकार चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट डाक्टर जहां मरीज को देखने की 200 फीस लेते हैं। उसके बाद टेस्ट करवाने में दो चार सौ खर्च हो जाते हैं और फिर करीब एक हजार की दवा यानि डेढ़ से दो हजार रुपये का खर्च। लिहाजा आम व गरीब लोग अपना इलाज नहीं करवा पा रहे। उन्हें सरकारी अस्पताल में भी चक्कर काटते तीन से चार सप्ताह का समय बीत चुका है। आखिर वह अपना मर्ज कितने दिन तक सहन करेंगे व छिपा कर रखेंगे। राजू चराया का कहना है कि सरकार को डाक्टरों के साथ बैठ कर मसला हल करना चाहिए ताकि आम व गरीब मरीज अपना इलाज करवा सके।

समाजसेवी अशोक गर्ग ने कहा कि डाक्टरों की हडृताल के कारण रोजाना सैंकड़ों लोगों को अस्पताल से बैरंग व निराश लौटना पड़ रहा है। इनमें बुजुर्ग, दिव्यांग भी शामिल होते हैं। दवा लेने वालों के अलावा अन्य काम करवाने वाले लोग भी परेशान हो रहे हैं। यहां तक कि अब तो लोगों को डाक्टर की लिखी दवा भी नहीं मिल पा रही। क्योंकि दोबारा दवा लेने के लिए डाक्टर के साइन होने चाहिए, जो अब हो नहीं रहे। इसके अलावा अनेक युवा मेडिकल करवाने के लिए भी भटक रहे हैं। यह तो गनीमत है कि डाक्टर इंसानियत का फर्ज निभाते हुए इमरजेंसी व वैक्सीन कलगाने का काम कर रहे हैं, नहीं तो मुश्किल बढ़ जाती। सरकार को बिना देरी डाक्टरों के साथ बात कर उनकी हड़ताल समाप्त करवाना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके। उधर, गांव भागू के मरीज ने बताया कि डाक्टरों ने कहा था कि एक तारीख के बाद आना। इसके चलते वह सोमवार को आया है, लेकिन यहां फिर हड़ताल होना बताया जा रहा है।

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