अरमान संधू के हत्या के आरोपित की जमानत याचिका रद

नई आबादी में रहने वाले बलजिदर फाइनांसर के बेटे अरमान की हत्या के आरोपित की जमानत याचिका जिला अदालत ने रद कर दी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 10:21 PM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 10:21 PM (IST)
अरमान संधू के हत्या के आरोपित की जमानत याचिका रद
अरमान संधू के हत्या के आरोपित की जमानत याचिका रद

संवाद सहयोगी, अबोहर : नई आबादी में रहने वाले बलजिदर फाइनांसर के बेटे अरमान की हत्या के आरोपित की जमानत याचिका जिला अदालत ने रद कर दी है। अरमान की माता दविदरपाल कौर ने जमानत याचिका रद होने के बाद कहा कि वह वह तब तक लड़ाई लड़ती रहेगी, जब तक उसके बेटे की हत्या करने वालों को फांसी की सजा नहीं होती। हत्या के एक आरोपित पवन कुमार ने जमानत के लिए याचिका दायर की थी।

नई आबादी में रहने वाले बलजिदर सिंह के 12 साल के बेटे अरमान को 17 अक्टूबर 2019 को अगवा किया गया था, जिसका शव 36 दिन बाद 22 नवंबर 2019 को अबोहर-मलोट रोड पर ओवरब्रिज के पास मिला था। अपहरणकर्ताओं ने शव जमीन में दफना दिया था। बच्चे को अगवा करने वाले दोनों आरोपित अरमान के पिता से दो करोड़ रुपये फिरौती मांग रहे थे। उन्होंने अरमान की अपहरण के दूसरे दिन ही रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी थी। अरमान डीएवी स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ता था। 17 अक्टूबर को उसकी पहचान का युवक सुनील कुमार उसे बाइक पर बिठाकर ले गया था। थोड़ी दूर अपहरणकर्ता का दूसरा साथी पवन कार लेकर खड़ा था। दोनों अरमान को कार में बिठाकर सीतो रोड स्थित एक मकान में ले गए और बच्चे को उसके अपहरण की बात कही, हालांकि अरमान ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया, क्योंकि वह उन्हें जानता था। उनका अरमान के घर आना-जाना था। तब अरमान के पिता बलजिंदर सिंह को एक रिक्शावाले के माध्यम से सेब की पेटी मिली, जिसे खोलकर देखा तो उसमें दो ईटें व अपहरणकर्ताओं का भेजा गया फिरौती का पत्र था। हत्या आरोपित सुनील कुमार उर्फ शीलू वासी अजीमगढ़ व पवन कुमार उर्फ अंकी निवासी अजीमगढ़ पीड़ित परिवार से फेसबुक के माध्यम से संपर्क करते थे। इसके लिए उन्होंने फेक आइडी बनाई और अरमान के पिता को रिक्वेस्ट भेजने के लिए कहा। रिक्वेस्ट भेजने के तीन दिन बाद उसे एड किया गया और इसके बाद फिरौती के लिए उनके बीच चैटिग होने लगी। पहले दो करोड़ रुपये मांगे गए। कुछ राशि देना, उनमें तय हुआ तो कभी मलोट रेलवे ट्रैक पर, कभी डंगरखेड़ा पुल तो कभी अबोहर मलोट ओवरब्रिज के निकट रुपये देने के लिए बुलाया गया। चूंकि अपहरणकर्ता परिवार के नजदीकी थे। इसलिए उन्हें पुलिस सक्रियता का पता चलता रहता था। इसके अलवा परिवार की ओर से लगाए धरने में भी आरोपित शामिल होते रहे, ताकि सारी स्थिति का उन्हें पता चलता रहे। पुलिस को बारीकी से जांच करने पर पता चला कि सुनील से अरमान के पिता बलजिंदर ने लोन के करीब तीस से चालीस लाख रुपये लेने थे और पवन ने भी ढाई लाख रुपये बलजिदर से ले रखे थे। उन्होंने फिरौती की मांग करने से पहले ही अरमान की हत्या कर दी और उससे पहले उसके करीब बीस पच्चीस अलग अलग वीडियो बना लिए व फोटो खींच ली, ताकि समय-समय पर वसूली करते रहें। पहचान में न आएं, इसलिए आरोपितों ने बच्चे की पहले ही हत्या कर दी, क्योंकि अरमान उन्हें जानता था।

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