किसानों के परिवारों को नि:शुल्क होम्योपैथिक दवा देने की घोषणा

कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संघर्ष कर रहे किसानों की मदद को लोग आगे आने लगे हैं। संघर्ष के लिए दिल्ली गए किसानों की जहां कोई जमीन की सार संभाल कर रहा है तो वहीं अब पुरानी फाजिल्का रोड नजदीक भाटिया पैलेस स्थित महाराजा सूरजमल चेरिटेबल होम्योपैथिक डिस्पेंसरी के संचालक रविदर ढाका ने दिल्ली गए किसानों के परिवारों के लिए निशुल्क दवा उपलब्ध करवाने की घोषणा की है ।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 10:02 PM (IST) Updated:Thu, 03 Dec 2020 10:02 PM (IST)
किसानों के परिवारों को नि:शुल्क होम्योपैथिक दवा देने की घोषणा
किसानों के परिवारों को नि:शुल्क होम्योपैथिक दवा देने की घोषणा

संवाद सहयेागी, अबोहर : कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संघर्ष कर रहे किसानों की मदद को लोग आगे आने लगे हैं। संघर्ष के लिए दिल्ली गए किसानों की जहां कोई जमीन की सार संभाल कर रहा है तो वहीं अब पुरानी फाजिल्का रोड नजदीक भाटिया पैलेस स्थित महाराजा सूरजमल चेरिटेबल होम्योपैथिक डिस्पेंसरी के संचालक रविदर ढाका ने दिल्ली गए किसानों के परिवारों के लिए निशुल्क दवा उपलब्ध करवाने की घोषणा की है ।

रविदर ढाका ने बताया कि डिस्पेंसरी में होम्योपैथिक के माहिर डा. गुरकृपाल सिह अपनी सेवाएं देते हैं। किसानों के परिवार के किसी सदस्य को अगर किसी को कोई तकलीफ है तो उन्हें होम्योपैथिक दवा निश्शुल्क घर पर भी पहुंचाने का प्रबंध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह भी किसानों के संघर्ष का समर्थन करते हैं व उनको यह सुविधा देकर मदद करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के परिवार दवा की जरूरत पड़ने पर नंबर 98722-90917 पर संपर्क कर सकते हैं । आंदोलन कर रहे किसानों की मदद करें कांग्रेस वर्कर: संदीप जाखड़

संस, अबोहर : कांग्रेस प्रभारी संदीप जाखड़ ने कांग्रेस वर्करों से अपील की है कि वो आंदोलन कर रहे किसानों की हर संभव मदद अवश्य करें। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानूनों का पूरे देश भर में जमकर विरोध हो रहा है। केंद्र सरकार से अपना हक लेने के लिए किसान निरंतर संघर्ष कर रहे है लेकिन मोदी सरकार द्वारा किसानों के इस संघर्ष को खत्म करने का प्रयास नही किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को राष्ट्र हित और किसान हित के बारे में सोचना चाहिए और जल्द से जल्द इन काले कानूनों को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के अंदर आज तक उन्होंने ऐसा कोई जन- आंदोलन न तो सुना और न ही देखा जिसके अंदर बुजुर्ग माताएं तथा छोटे-छोटे बच्चे भी किसानों के साथ केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए काले कानूनों को रद्द करवाने के लिए अपने हक और न्याय के लिए प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए राजधानी दिल्ली की ओर पैदल ही चल पड़े हैं।

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