23 को विधायक के घर के बाहर धरना देंगी आंगवाड़ी वर्कर
आल पंजाब आंगनवाड़ी कर्मचारी यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष हरगोबिद कौर के दिशा निर्देश अनुसार ब्लाक फाजिल्का की आंगनवाड़ी वर्करों और हेलपरों द्वारा फाजिल्का के विधायक दविदर सिंह घुबाया के घर के बाहर 23 अक्टूबर को सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक भूख हड़ताल की जाएगी।
संवाद सूत्र, फाजिल्का : आल पंजाब आंगनवाड़ी कर्मचारी यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष हरगोबिद कौर के दिशा निर्देश अनुसार ब्लाक फाजिल्का की आंगनवाड़ी वर्करों और हेलपरों द्वारा फाजिल्का के विधायक दविदर सिंह घुबाया के घर के बाहर 23 अक्टूबर को सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक भूख हड़ताल की जाएगी।
इस मौके यूनियन का 21 सदस्यीय शिष्टमंडल सुखमणि साहिब का पाठ करेगा, जिस का नेतृत्व ब्लाक प्रधान शीला देवी द्वारा की जाएगी। यूनियन नेताओं ने बताया कि उन्होंने पंजाब सरकार से अपनी जायज मांगें मनवाने के लिए पिछले समय दौरान कई बार प्रदर्शन किए हैं, लेकिन अब सरकार व कांग्रेसी विधायकों को जगाने के लिए सुखमणि साहब के पाठ किए जाएंगे। यूनियन नेताओं ने मांग की कि आंगनवाड़ी सेंटरों के छीने बच्चे वापस किए जाएं, वर्करों को नर्सरी टीचर का दर्जा दिया जाए, पंजाब की आंगनवाड़ी वर्करों और हेलपरों को हरियाणा पैटर्न मुताबिक मानभत्ता दिया जाए, आंगनवाड़ी केंद्रों के लाभपात्रियों के लिए राशन पहले की तरह वर्करों को केंद्रों में दिया जाए और ठेकेदारी सिस्टम बंद किया जाए।
सभी वर्गों को मिले सरकारी योजनाओं का लाभ : भटेजा संस, अबोहर : गवर्नमेंट टीचर यूनियन के पदाधिकारी भगवंत भठेजा ने कहा कि पंजाब में नए मुख्यमंत्री ने एक विशेष जाति वर्ग को मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर दी, जिस कारण अब सामान्य वर्ग के लोग आवाज उठाने लगे हैं कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की बकाया बिल माफ करने की घोषणा से एक इमानदार नागरिक जो किसी से उधार लेकर, कर्ज लेकर अपना बिल समय पर भरकर राज्य के विकास में अपना योगदान देता रहा है वह खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। शायद ऐसी घोषणाएं भविष्य में लोगों को बिल न भरने के लिए उत्साहित करती है। अब समाज में यह मांग उठने लगी है कि आरक्षण का आधार जाति वर्ग न होकर उस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति होना चाहिए। जातिवादी आरक्षण व्यवस्था के कारण आज आर्थिक रूप से सु²ढ़ व्यक्ति भी आरक्षण का लाभ ले रहा है, जबकि सामान्य वर्ग का गरीब जरूरतमंद भी इस लाभ से वंचित कर दिया जाता है। संविधान सभा द्वारा देश के पिछड़े वर्गों को समाज में आगे लाने के लिए आरक्षण व्यवस्था का प्रवधान किया गया था लेकिन हमारे देश के राजनीतिज्ञों ने इसे अपने वोट बैंक में बदलने के लिए एक विशेष जाति वर्ग समूह तक सीमित कर दिया।