450 गोवंश की संभाल कर रही सरकारी कैटल पौंड

जिला फाजिल्का प्रशासन की देखरेख में गांव नवां सलेमशाह में 15 एकड़ में बनाई गई सरकारी गोशाला (कैटल पौंड) बेसहारा पशुओं की संभाल करने में काफी लाभदायक साबित हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 04:41 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 06:05 PM (IST)
450 गोवंश की संभाल कर रही सरकारी कैटल पौंड
450 गोवंश की संभाल कर रही सरकारी कैटल पौंड

संवाद सूत्र, फाजिल्का : जिला फाजिल्का प्रशासन की देखरेख में गांव नवां सलेमशाह में 15 एकड़ में बनाई गई सरकारी गोशाला (कैटल पौंड) बेसहारा पशुओं की संभाल करने में काफी लाभदायक साबित हो रही है। प्रशासन की ओर से नवंबर 2016 में डिस्ट्रिक्ट एनिमल वेलफेयर सोसायटी के बैनर तले 15 आवारा पशुओं के साथ शुरू की गई गोशाला में चार साल से अधिक के अर्से के दौरान 450 पशुओं की संभाल बाखूबी की जा रही है। इस गोशाला में लोग भी काफी सहयोग कर रहे हैं। गांव पट्टी पूर्ण के पूर्व सरपंच लखबीर सिंह की ओर से पांच ट्रालियां, समाजसेवी विनोद कुमार ने 10 ट्रालियां, नारायण सिंह, हरनेक सिंह, गुरजीत सिंह व रोहताश कुमार द्वारा 2-2 ट्रालियां, हरकृष्ण, पप्पू, बहादुर राम द्वारा 1-1 ट्राली भूसा दान किया गया है।

डिप्टी कमिश्नर अरविद पाल सिंह संधू ने बताया कि गोशाला में सात एकड़ जमीन में हरे चारे की बिजाई की जाती है, जबकि आठ एकड़ में दो शैड में पशुओं की संभाल की जाती है। उन्होंने बताया कि गोशाला में 500 पशुओं की समर्थता वाले 2 शैड बनाए गए है,. जबकि करीब 250 क्विटल भूसा स्टोर करने की समर्थता वाले एक शैड का निर्माण किया गया। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि गोशाला में पशुओं के चारे और दवाइयां, चारा कतरने के इंजन और चारा इकट्ठा करने वाले ट्रैक्टर के डीजल और संभाल, कर्मचारियों का वेतन और रख-रखाव के दूसरे प्रबंधों पर हर महीने करीब 1.5 लाख रुपए खर्च आ जाता है। उन्होंने कहा कि यह खर्त सोसायटी के फंड और जिले की समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से किया जा रहा है। पराली जलाने की घटनाएं रोकने में गोशाला का अहम रोल

डिप्टी कमिश्नर अरविंद पाल संधू ने बताया कि फसली अवशेष को आग लगाने की घटनाओं को रोकने में भी यह गोशाला अहम भूमिका निभा रही है। समाजसेवी व प्रबंधक किसानों के खेतों में से पराली और भूसा उठाते हैं और कैटल पौंड में स्टोर करते हैं जिसकी वजह से गोशाला में करीब 1200 क्विटल सूखे चारे का भंडार जमा है। उन्होंने कहा कि इससे जहां पशुओं को खाने के लिए चारा मिल रहा है, वहीं पराली और अन्य फसली अवशेष को आग लगाने की घटनाओं को रोक कर वातावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा रहा है।

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