माता चक्रेश्वरी देवी का तीन दिवसीय वार्षिक समारोह आज से शुरू

जैन समाज के श्रद्धा का केंद्र खंडेलवाल जैनियों की कुल देवी माता श्री चक्रेश्वरी देवी का तीन दिवसीय वार्षिक समारोह सोमवार से शुरू होगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 11:55 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 11:55 PM (IST)
माता चक्रेश्वरी देवी का तीन दिवसीय वार्षिक समारोह आज से शुरू
माता चक्रेश्वरी देवी का तीन दिवसीय वार्षिक समारोह आज से शुरू

संवाद सहयोगी, फतेहगढ़ साहिब : जैन समाज के श्रद्धा का केंद्र खंडेलवाल जैनियों की कुल देवी माता श्री चक्रेश्वरी देवी का तीन दिवसीय वार्षिक समारोह सोमवार से शुरू होगा। फतेहगढ़ साहिब के अत्तेवाली में स्थित मंदिर में शुरू हो रहे तीन दिवसीय वार्षिक समारोह में इस बार सभी धार्मिक समारोह होंगे। जिनमें समूहिक पूजा होगी, शोभायात्रा, जागरण, मुंडन और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। पिछली बार कोरोना के चलते कोई भी समारोह नहीं हुआ था।

मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी कर बच्चों के मुंडन व नामकरण आदि करवाने के लिए यहां पहुंचते हैं। जैन समुदाय में मान्यता है कि जो कोई भी माता के दरबार में सच्चे मन से पुत्र प्राप्ति की कामना करता है, मां उसकी कामना अवश्य पूरी करती है। यह मंदिर पुत्र रत्न प्राप्ति के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में बना माता रानी का अमृत कुंड भी माता का ही चमत्कार है। अष्ट भुजाओं वाली माता चक्रेश्वरी देवी अपनी दाहिनी चार भुजाओं में वाहन, बाण, च्रक तथा वात्सल्यनमी आशीष तथा बाई भुजाओं में धनुष, वज्र, चक्र व अंकुश धारण किए हुए हैं। दोनों हाथों में चक्र होने के कारण ही माता का नाम चक्रेश्वरी देवी पड़ा। दशहरे के तीन दिनों बाद आने वाले वार्षिक उत्सव में भारत के विभिन्न प्रदेशों से हर वर्ष भारी संख्या में जैनी माता के दरबार में अपना शीश झुकाने पहुंचते हैं। माता श्री चक्रेश्वरी देवी जैन तीर्थ प्रबंधक कमेटी के प्रधान स्वतंत्र कुमार जैन ने बताया कि मुख्य मेहमान के तौर पर लाला लाभ चंद लाला, विधायक कुलजीत सिंह नागरा और विशेष मेहमान के तौर पर ज्वाइंट डायरेक्टर आफ आयकर विभाग गुड़गांव अमन प्रीत शामिल होंगी। इस अवसर सेक्रेटरी नवीन कुमार जैन, महासचिव प्रदीप जैन, विनोद जैन, राजेश जैन, अतुल जैन आदि उपस्थित थे।

यह है मंदिर का इतिहास

बताया जाता है कि महाराजा पृथ्वी राज चौहान के शासनकाल में एक यात्री संघ महम से कांगड़ा तीर्थ की यात्रा पर निकला था। आज का सरहिद तब सींहनद था। यहां पहुंचकर यह संघ तीन दिन के लिए रुका था। संघ के साथ एक बैलगाड़ी में प्रभु आदिनाथ की अधिष्ठायत्री माता चक्रेश्वरी देवी की प्रतिमा लेकर चल रहे थे। लेकिन मंदिर वाले स्थान पर पहुंच लाख प्रयास करने के बावजूद बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी। जब भक्तजनों ने प्रार्थना की तो आकाश में एक ज्योति पुंज दिखाई दिया और आकाशवाणी हुई कि यह मेरा स्थान है। मैंने यहीं पर निवास करना है। इस पर सबने मिट्टी के एक छोटे भवन का निर्माण किया था, जिसमें माता की वह प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी। यात्रियों में अधिकांश खंडेलवाल जैन ही थे। आज भी खंडेलवाल जैनी माता को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हैं। मंदिर में बना माता रानी का अमृत कुंड भी माता की ही चमत्कार है। कहा जाता है कि शुरू में इस मंदिर के नजदीक पीने योग्य पानी उपलब्ध नहीं था, जिससे यात्रियों को परेशानी होती थी। एक दिन भजन कीर्तन में मग्न एक छोटी बच्ची ने माता से पानी के लिए प्रार्थना की थी तभी भक्तों ने देखा कि लड़की के पांव के पास ही एक झरना फूट पड़ा था। वही झरना अब अमृत कुंड के नाम से जाना जाता है तथा आज भी भक्त इसी अमृत कुंड के पवित्र पानी को गंगाजल समान मान अपने घरों को ले जाते हैं।

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