पंजाबियों में अलख जगाती है फतेहगढ़ साहिब की धरती : सिद्धू

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू पहली बार शहीदों की धरती फतेहगढ़ साहिब पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 06:30 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 06:30 PM (IST)
पंजाबियों में अलख जगाती है फतेहगढ़ साहिब की धरती : सिद्धू
पंजाबियों में अलख जगाती है फतेहगढ़ साहिब की धरती : सिद्धू

जागरण संवाददाता, फतेहगढ़ साहिब :

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू पहली बार शहीदों की धरती फतेहगढ़ साहिब पहुंचे। वे यहां शहीद ऊधम सिंह को उनके शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि देने आए थे। यहां रोजा शरीफ के पास ऊधम सिंह का स्मारक है। शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद सिद्धू रोजा शरीफ, गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब, माता नैना देवी मंदिर और माता श्री चक्रेश्वरी मंदिर में नतमस्तक हुए।

उन्होंने कहा कि फतेहगढ़ साहिब की धरती पंजाबियों में अलख जगाती है। इससे बड़ी और प्रेरणास्त्रोत शहादत कहीं देखने को नहीं मिलती। जलिया वाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेकर ऊधम सिंह ने पूरी दुनिया में कौम का सिर ऊंचा किया। इस धरती से संदेश मिलता है कि सभी धर्म एक हैं। यह विचारधारा हमें रोशनी देती है। हमें कोई अलग अलग नहीं कर सकता। सिद्धू ने कहा कि यह धरती उनके लिए हर ताकत की जड़ है। इस दौरान उनके साथ पंजाब प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व स्थानीय विधायक कुलजीत सिंह नागरा भी मौजूद रहे।

गौरतलब है कि शहीद ऊधम सिंह उर्फ राम मोहम्मद का शहीदी स्मारक फतेहगढ़ साहिब में है। ऊधम सिंह की अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को रोजा शरीफ में दफनाया जाए। स्वर्गीय मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने उनकी अस्थियों को लंदन से लाकर यहां दफनाया था और इसी स्थान पर उनका स्मारक बना हुआ है।

जातिय समीकरण पर ध्यान, सभी तीर्थ स्थलों पर गए

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू ने अपने फतेहगढ़ साहिब के दौरे के दौरान जातिय समीकरण का पूरा ध्यान रखा। वे शहीद ऊधम सिंह स्मारक के पास मुस्लिमों का मिनी मक्का कहे जाने वाले रोजा शरीफ में सजदा किया। इसके बाद छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत को सिर झुकाने गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब पहुंचे। यहां संगत में बैठकर लंगर छका। इसके बाद शहर के प्राचीन माता नैना देवी मंदिर और जैन तीर्थ स्थल माता श्री चक्रेश्वरी मंदिर में भी शीश नवाया।

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