टोहड़ा के सत्ता में न होते हुए भी चढ़दी कला में रहता था अकाली दल : चंदूमाजरा

मौजूदा समय में जिन परिस्थितियों से शिरोमणि अकाली दल (बादल) गुजर रहा है उन परिस्थितियों में पंथ रत्न जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा को याद कर पूर्व सांसद प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा भावुक हो गए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 11:56 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 11:56 PM (IST)
टोहड़ा के सत्ता में न होते हुए भी चढ़दी कला में रहता था अकाली दल : चंदूमाजरा
टोहड़ा के सत्ता में न होते हुए भी चढ़दी कला में रहता था अकाली दल : चंदूमाजरा

जागरण संवाददाता, फतेहगढ़ साहिब : मौजूदा समय में जिन परिस्थितियों से शिरोमणि अकाली दल (बादल) गुजर रहा है, उन परिस्थितियों में पंथ रत्न जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा को याद कर पूर्व सांसद प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा भावुक हो गए। पंजोली कलां में टोहड़ा की याद में आयोजित सेमिनार में चंदूमाजरा पुरानी यादों को ताजा करते हुए बोले कि जत्थेदार टोहड़ा सच में सिख राजनीति का धुरा थे। उनके होते हुए शिरोमणि अकाली दल सत्ता में न होते भी चढ़दी कला में रहता था। टोहड़ा निराशता को चढ़दी कला में ले जाने में पूरी तरह से निपुण थे। सेमिनार का विषय जत्थेदार टोहड़ा की पंथक राजनीति में भूमिका था। सेमिनार का आयोजन करने वाले एसजीपीसी सदस्य जत्थेदार करनैल सिंह पंजोली ने कहा कि टोहड़ा ने पंथक फिजा में गुरमति की रोशनी का दीया हमेशा जलता रखा। टोहड़ा पंथ की ढाल थे, जिसके टूट जाने से पंथ प्रस्ती कमजोर पड़ गई। सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे एसजीपीसी के मुख्य सचिव हरजिदर सिंह धामी ने भी कहा कि जितनी गंभीरता से टोहड़ा रोल अदा करते थे, उतनी गंभीरता आज किसी अध्यक्ष में नजर नहीं आ रही। इस दौरान गुरुद्वारा श्री खालसा दरबार पंजोली कलां में बनाए गए भाई लक्ष्मण सिंह धारोवाली अकाल गेस्ट हाउस का रस्मी उद्घाटन चंदूमाजरा ने किया। पूर्व विधायक दीदार सिंह भट्टी ने भी टोहड़ा के जीवन को लेकर अपने विचार पेश किए।

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