खेड़ी नौध सिंह में धड़कता था सुरों के सिकंदर सरदूल का दिल

पंजाब के प्रख्यात गायक सरदूल सिकंदर का बुधवार को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 08:26 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 08:26 AM (IST)
खेड़ी नौध सिंह में धड़कता था सुरों के सिकंदर सरदूल का दिल
खेड़ी नौध सिंह में धड़कता था सुरों के सिकंदर सरदूल का दिल

धरमिदर सिंह, खेड़ी नौध सिंह (फतेहगढ़ साहिब)

पंजाब के प्रख्यात गायक सरदूल सिकंदर का बुधवार को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। पंजाबी फिल्म व गायकी के जगत में अपना नाम चमकाने वाले सुरों के इस सिकंदर का दिल फतेहगढ़ साहिब के खेड़ी नौध सिंह में धड़कता था। सरदूल का जन्म 15 अगस्त 1961 को खेड़ी नौध सिंह में हुआ था। इसी गांव की गलियों व खेतों में सरदूल का बचपन बीता और पांचवीं तक की शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से ग्रहण की थी। बचपन में ही सरदूल अपने पिता सागर मस्ताना, जोकि नामवर तबला वादक थे, से गायकी के सुर सीखने लगे थे। वर्ष 1988 में सरदूल सिकंदर गांव से शिफ्ट होकर खन्ना में रहने लगे थे। लेकिन, गांव से जुड़ी यादों के चलते और आज भी गांव में बसते परिवार के कारण उनका दिल हमेशा यहीं धड़कता रहता था। सरदूल के निधन के उपरांत गांव में मातम छा गया। हर जुबान से यही निकल रहा था कि उनका बादशाह नहीं रहा। गांव में सरदूल की बड़ी भाभी प्रकाश कौर, भतीजा बावा सिकंदर, छोटी भाभी रजिया बेगम, भतीजे बब्बल खान, नवी खान रहकर संगीत की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। बावा सिकंदर गायक हैं। बब्बल खान तबला वादक हैं।

ओ रब्बा साड्डा इक तां छड्ड देंदा

सरदूल सिकंदर के दो भाई थे। बड़े भाई गमदूर अमन की करीब बीस साल पहले मौत हो गई थी। छोटे भाई भरपूर अली की कुछ समय पहले मौत हुई थी। तीन बहनों में से भी दो बहनों की मौत हो चुकी है। एक बहन करमजीत खन्ना में रहती हैं। दो भाइयों की मौत के बाद इकलौते सरदूल की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। परिजन विलाप करते हुए परमात्मा को कोस रहे थे कि ओ रब्बा साड्डा इक तां छड्ड देंदा। जहां दोनों भाई सुपुर्द-ए-खाक, वहीं होगी सरदूल की अंतिम रस्में

उस्ताद सरदूल सिकंदर के दोनों भाइयों की मौत के बाद उन्हें जद्दी गांव खेड़ी नौध सिंह के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया था। इसी कारण सरदूल को भी जद्दी गांव में ही सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। खन्ना के गांव बुल्लेपुर स्थित उनके सागर हाउस से वीरवार बाद दोपहर एक बजे अंतिम यात्रा शुरू होगी। करीब 18 किलोमीटर अंतिम यात्रा के बाद दो बजे के करीब सरदूल सिकंदर के पार्थिव शरीर को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाएगा। राजे के बाद दूसरा असली सिकंदर था सरदूल

खेड़ी नौध सिंह में सरदूल सिकंदर के साथ बचपन बिताने वाले बुध राम ने सुरों के सरताज के साथ यादों को ताजा किया। उन्होंने कहा कि एक सिकंदर राजा था, जिसने सारी दुनिया जीत ली थी। उसके बाद दूसरा नाम सरदूल का चमका। सरदूल ने संगीत के दम पर दुनिया जीती। सरदूल की मौत से उनकी दुनिया उजड़ गई और उनका कुछ नहीं बचा है। गांव के जंग बहादुर सिंह व धर्मपाल ने कहा कि खन्ना शिफ्ट होने के बाद अकसर गांव में सरदूल सिकंदर आते रहते थे। उनके आने पर गांव के लोग इस शख्सियत से मिलने पहुंचते थे। सरदूल भी सभी को हंस कर मिलते थे। हाय सोणीए नी पिड खेड़ी नौध सिंह वाले..

सरदूल सिकंदर का गांव खेड़ी नौध सिंह से बहुत लगाव था। अकसर जब भी वे मंच से अपने जीवन के बारे में जानकारी साझा करते थे तो अपने गांव का नाम आगे रखते थे। गांव का नाम दुनिया भर में बताने के लिए ही सरदूल सिकंदर ने इस गांव पर गीत गाया था। यह गीत आज भी मशहूर है। इस गीत के बोल थे - हाय सोणीए नी पिड खेड़ी नौध सिंह वाले..। गांव के ज्यादातर युवकों ने तो इस गीत की कालर ट्यून भी लगवा रखी है।

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