एड्स के चिन्ह 'रेड रिबन' बना सोही की पहचान

लक्ष्य के प्रति जुनून आदमी को समाज में एक अलग पहचान दे देता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 05:33 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 07:27 PM (IST)
एड्स के चिन्ह 'रेड रिबन' बना सोही की पहचान
एड्स के चिन्ह 'रेड रिबन' बना सोही की पहचान

दीपक सूद, सरहिंद

लक्ष्य के प्रति जुनून आदमी को समाज में एक अलग पहचान दे देता है। ऐसी ही एक पहचान पुरानी सरहिद निवासी 45 वर्षीय युवा गुरविदर सिंह सोही ने एड्स के खिलाफ लोगों को जागरूक करने को लेकर पाई है। इसी कारण आज वह लोगों में 'रेड रिबन' वाले युवक के रूप में पहचाने जाते हैं। पिछले 15 साल से जारी उनकी लगन को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में जिला स्तर पर चार बार सम्मानित किया जा चुका है।

शुरुआत में उन्हें लोगों के मजाक का पात्र भी बनना पड़ा, बावजूद इसके सोही ने अपने दृढ़ निश्चय व लगन के बल पर एड्स के खिलाफ शुरू की जागरूकता मुहिम कायम रखी। सोही ने बताया कि 2006 में एक दिसंबर को विश्व एड्स पर पहली बार करवाए एक सेमिनार के दौरान उन्होंने एड्स के खिलाफ लोगों को जागरूक करने की ठानी। इसके बाद वह अब तक अनेकों लोगों को एड्स के खिलाफ जागरूक कर चुके हैं। इसका कारण ये है कि एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसके उपचार के लिए मरीज को लंबा समय दवा खानी पड़ती है। एड्स के खिलाफ जागरूकता ही इस बीमारी का बड़ा बचाव है। इसके लिए सोही ने शहर के विभिन्न चौकों पर समय समय पर शिविर लगाकर राहगीरों को एड्स के खिलाफ जागरूक करने के लिए रेड रिबन लगाने शुरू किए। इसके बाद तो वे कई सरकारी स्कूलों, कालेज, पुलिस प्रशासन, सेहत कर्मी तथा प्राइवेट संस्थानों में पहुंचकर इस भयानक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करते आ रहे हैं। आलम ये है कि अब सोही के नव वर्ष की शुरुआत व त्योहार आदि सभी एड्स के खिलाफ शुरू की मुहिम के साथ जुड़ने लगे हैं। इसी कड़ी में सोही ने वर्ष 2010 की शुरुआत लोगों की गाड़ियों पर एड्स के खिलाफ जागरूकता से जुड़े स्टीकर लगाकर की जोकि हिदी व पंजाबी भाषा में बनाए गए थे। इस मौके पर संदीप सिंह, हरमनजीत सिंह, अमरजीत सिंह, जसकिरण कौर, गुरप्रीत सिंह, हरमन, बलदेव सिंह, गुरदयाल सिंह, कुलविदर कौर, मनदीप कौर, जगजीत सिंह आदि ने गुरविदर सोही का विशेष रूप से सम्मान किया गया। परिवार का भी मिला पूरा साथ

सोही ने बताया कि इस मुहिम को जारी रखने में उनके पारिवारिक सदस्यों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। जब भी उन्होंने एड्स के खिलाफ जागरूकता के लिए कभी शिविर लगाया तो उसके लिए रेड रिबन बनाने में माता, पत्नी, भाई व बहन ने पूरा सहयोग दिया। जिन्होंने रात भर जाग जागकर लोगों को बांटने के लिए रेड रिबन तैयार किए है। बाद में उन्हें जिला प्रशासन की ओर से भी उनकी एड्स के खिलाफ शुरू की जागरूकता मुहिम में स्टीकर तैयार करने के लिए सहयोग दिया गया।

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