किस गल्ल दी उदासी है, क्यों नजर प्यासी है
पंजाबी लिखारी सभा मंडी गोबिदगढ़ की मासिक बैठक सरकारी सीनियर सेकेंडरी कन्या स्कूल में हुई।
संवाद सहयोगी, मंडी गोबिदगढ़ : पंजाबी लिखारी सभा मंडी गोबिदगढ़ की मासिक बैठक सरकारी सीनियर सेकेंडरी कन्या स्कूल में हुई। बैठक की शुरुआत जैसरी मोहल्ला में श्री गुरु रामदास जी के शबद के साथ की गई। इसकी अध्यक्षता सभा के प्रधान अनूप सिंह खानपुरी ने की। इस मौके पर लिखारी अवतार सिंह चाने ने गीत 'चढ़ेया सूरज डुबदा आखिर पैंदा घुप हनेरा', 'ते रातां दी हिक चीर के आऊंदा नवां सवेरा' गीत सुनाया। जसकीरत सिंह ने कविता सुनाई 'अपनी धी दी इज्जत बचाउंदे, दूजे दी धी नू नाच नचाउंदे'।
मास्टर नवजोत सिंह पसियाना ने कविता 'किस गल दी उदासी है, क्यों नजर प्यासी है'। स्नेह इंदर सिंह मीलू ने लघु निबंध 'बडयाई दी भूख' सुनाई। रणजोध सिंह खानपुरी ने गीत 'बूंद-बूंद तरस गए पुत पंज दरियावां दे', धीयां पुत्र रुल गए अजकल मावां दे'। सभा के प्रधान अनूप सिंह खानपुरी ने कविता 'साल वीह दा खुश सी होईया सुनी जदों अरजोई कुझ चिर मगरों चाल बदल गई की अनहोनी होई'। रघुवीर सिंह अलबेला ने गीत 'सोचा विच वर्त गया वातावरण बिगाड़ो'। पूनम सपरा ने दिल्ली से आकर अपने विचार सांझा किए और कविता 'माए नी मेरा दिल करदा मर जावा। कृपाल सिंह नाज ने कविता हिद की चादर सुनाई। संगीता बांसल ने कविता 'वो थैला अच्छा था घर से सिला हुआ मां ने अपने हाथ से सिला था'। अमर सिंह सैंपल ने लेख बंजारन सुनाया।
गुरप्रीत सिंह बीड किशन ने कविता दुल्ला भट्टी सुनाई। मास्टर अमरजीत सिंह घुड़ाणी ने कविता 'कुदरती आफत प्यापिया कोरोना'। राम सिंह अलबेला ने गीत 'करोना महामारी ने कुल संसार नू बंदी बनाया' सुनाया। उपकार सिंह दयालपुरी ने गीत 'मां नी मां तेरी ठंडी मीठड़ी छां नी मां'। किरण पाहवा ने कविता बाबा नानक सुनाई जगजीत सिंह ने गजल सुनाई 'नैना दा है नदियां जां नीर संग बहन्दीय मावां'। दीप कुलदीप ने कविता मोहब्बत सुनाई।
आखिर में सभा के संरक्षक शिरोमणि साहित्कार सुरजीत सिंह मरजारा ने गीत सुनाया 'क्यों अन्नदाता तड़पाया क्यों तेरी समझ ना आया'। इस मौके पर किरण पहावा द्वारा हिदी पुस्तक जो संपादित की गई थी जिदगी दे रंग का विमोचन किया गया। इस अवसर पर नरिदर भाटिया, तेजपाल सिंह भी उपस्थित थे।