महा संत सम्मेलन में भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु
50वें वार्षिक मानव एकता महा संत सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से पहुंचे संत शामिल हुए।
संवाद सहयोगी, सरहिद : सरहिद शहर के श्री दशनामी अखाड़ा में चल रहे 50वें वार्षिक मानव एकता महा संत सम्मेलन में श्री दशनामी अखाड़ा के मुखी श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वरा नंद गिरि महाराज व देश के विभिन्न भागों से पहुंचे संत शामिल हुए। सम्मेलन में पहले श्री दशनामी अखाड़ा के स्व. पूर्व मुखी महामंडलेश्वर बाबा उत्तम गिरि महाराज को श्रद्धाजंलि भेंट करते हुए उनकी ओर से की गई मानवता की सेवाओं को याद किया। इसके बाद महा संत सम्मेलन में संतों की ओर से भक्ति रस की जम कर बरसात की गई। इसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने शामिल होकर संतों महापुरुषों की ओर से की जा रही कथा व संकीर्तन का आनंद उठाया। शनिवार सुबह 11 बजे से शुरू हुई बैठकों में शामिल संतों में शामिल प्रोफेसर बंशीधर राही व दूसरे महापुरुषों ने कहा कि भक्ति रस का नशा सबसे बड़ा नशा है जो भक्ति रस में डूब जाता है उसकी नैया को खुद ही प्रभु किनारे लगा देते है। उन्होंने कहा कि क्रोध क्षणिक होता है और इस पर काबू पाना जरूरी है। इस मौके संतों ने संकीर्तन करते हुए मानव एकता के प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि संत समाज ही भटकों को सही मार्ग दिखा सकता है। प्रवचन करते हुए संतों ने कहा कि अपने माता पिता व गुरुओं को आदर व सत्कार अपना धर्म समझ कर करना चाहिए। संत सम्मेलन में संचालक की भूमिका पंडित योग राज शास्त्री की ओर से निभाई जा रही है। श्री दशनामी अखाड़ा की ओर से संत सम्मेलन में पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए लंगर की सेवा भी लगातार की जा रही हैं।