विधायक नागरा का डैमेज कंट्रोल: दावेदारों को एक-एक साल प्रधान बनाने का भरोसा

सरहिद में दिग्गज कांग्रेस नेताओं को भाजपा से आकर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले अशोक सूद ने मात दी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 06:45 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 06:45 AM (IST)
विधायक नागरा का डैमेज कंट्रोल: दावेदारों को एक-एक साल प्रधान बनाने का भरोसा
विधायक नागरा का डैमेज कंट्रोल: दावेदारों को एक-एक साल प्रधान बनाने का भरोसा

धरमिदर सिंह, सरहिद (फतेहगढ़ साहिब)

सरहिद में दिग्गज कांग्रेस नेताओं को भाजपा से आकर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले अशोक सूद ने मात दी है। करीब दो दशक पहले शिरोमणि अकाली दल (बादल) की तरफ से नगर कौंसिल के प्रधान रहने वाले अशोक सूद ने छह साल पहले इसी कुर्सी के लिए जोर लगाया था लेकिन शिअद-भाजपा की आपस में दाल न गलने पर यहां गठबंधन में दरारें आ गई थीं। अकाली दल को कौंसिल की सत्ता से उतारने के लिए वर्ष 2017 में पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने पर भाजपा के चार पार्षद अशोक सूद, नरिदर कुमार प्रिस, पवन कालड़ा, जगजीत सिंह कोकी कांग्रेस में शामिल हो गए थे। फिर भी कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला था और शिअद के शेर सिंह ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। फरवरी 2021 में हुए नगर कौंसिल चुनावों में सरहिद के 23 में से 19 वार्डों में कांग्रेस की शानदार जीत पर प्रचंड बहुमत मिला। जिसके चलते लंबे समय से कांग्रेस की सेवा करने वाले और विधायक नागरा के खासमखास भी अध्यक्ष की दौड़ में थे। सूत्रों की मानें तो अशोक सूद को कांग्रेस में लाने वक्त अध्यक्ष बनाने का वादा किया गया था। जिस कारण सूद भी इस बात पर अड़े हुए थे। आगामी विधान सभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए विधायक नागरा ने डैमेज कंट्रोल के लिए सभी दावेदारों को एक-एक साल अध्यक्ष बनाने का भरोसा दिलाया। जिसमें पहले वर्ष के लिए अशोक सूद को अध्यक्ष बनाया गया। वार्ड नंबर 12 से बिना मुकाबला विजेता रहे गुरप्रीत सिंह लाली को वरिष्ठ उपाध्यक्ष और वार्ड नंबर 21 से पार्षद अमरजीत कौर को उपाध्यक्ष बनाया गया।

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अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर सरहिद में रहता है विवाद

नगर कौंसिल सरहिद में अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर विवाद छिड़ा रहता है। करीब दो दशक पहले जब अशोक सूद को शिअद ने आपसी सहमति से डेढ़ वर्ष के लिए अध्यक्ष बनाया था तो तय समय पूरा होने के बाद सूद ने अपना पद नहीं छोड़ा था। जिसके चलते उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करते हुए पद से उतारा गया था। यही नहीं, वर्ष 2015 में अकाली-भाजपा को बहुमत मिलने पर चार दावेदारों के बीच सहमति बनी थी कि वे सवा-सवा साल के लिए अध्यक्ष बनेंगे। त्रिलोक सिंह बाजवा ने सवा साल का समय पूरा किया था तो बाद में शेर सिंह ने कुर्सी संभाली थी। शेर सिंह के बाद उन्हें पद से हटाने के लिए अनेक प्रयास किए गए थे। लेकिन उन्हें बहुमत प्राप्त था और वे पूरा समय अपना कार्यभार चलाते रहे।

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शहर में चर्चा, सत्ता बदलते ही बदल सकते हैं समीकरण

पंजाब में 2022 में विधान सभा चुनाव हैं। बेशक सरहिद नगर कौंसिल में कांग्रेस को 19 पार्षदों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल है। जैसे कि पहले होता आ रहा है कि सत्ता बदलते ही यहां के सियासी समीकरण बदल जाते हैं तो कहीं इस बार भी ऐसा न हो जाए। यह चर्चा अशोक सूद को एक साल के लिए अध्यक्ष बनाने के बाद गली-मोहल्लों में शुरू हो गई।

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