किसान तीर्थइंद्र ने छह साल से नहीं जलाई पराली

एक ओर जहां कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 07:28 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 07:28 AM (IST)
किसान तीर्थइंद्र ने छह साल से नहीं जलाई पराली
किसान तीर्थइंद्र ने छह साल से नहीं जलाई पराली

सुखवीर सुख, फतेहगढ़ साहिब

एक ओर जहां कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, वहीं कुछ किसान ऐसे भी है जो पिछले कई साल से पराली को बिना आग लगाई खेती कर रहे हैं तथा वातावरण को प्रदूषित होने से बचा रहे हैं। जिले के अमलोह ब्लाक के गांव मछराएं कलां के किसान तीर्थइंद्र सिंह ने पिछले छह साल से पराली को आग लगाए बिना गेहूं की बिजाई की है।

तीर्थइंद्र सिंह के पास आठ एकड़ जमीन है। कृषि विशेषज्ञों की राय के अनुसार उसने पराली को खेत में ही मिलाने का काम जब शुरू किया था तो यह आसान नहीं था। क्योंकि काफी मात्रा में पराली को संभालने में काफी समय लग जाता था। लेकिन उसने हार नहीं मानी। पहले उसने पूसा यूनिवर्सिटी की राय के अनुसार पराली को खेत में मिलाया जोकि काफी मुश्किल था। लेकिन अब डी-कंपोसर की तकनीक विकसित होने के बाद पराली को खेत में ही मिलाना शुरू कर दिया। तीर्थइंद्र ने बताया कि वे धान की कटाई करने के बाद पराली को कटर की मदद से खेत में मिला देते है। बाद में खेत में पानी छोड़ दिया जाता है। उसके बाद डी-कंपोसर को गुड़ में मिलाकर स्प्रे कर दी जाती है। जिसके कारण पराली जल्द ही गल जाती है। अगर आसमान साफ हो तो 21 दिन, नहीं तो 25 दिनों के बाद खेत को गेहूं की बिजाई के लिए तैयार कर दिया जाता है। रोटावेटर मशीन की मदद से पराली अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाती है। जिससे खेत की उपजाऊ शक्ति और भी बढ़ जाती और झाड़ भी पहले के मुकाबले ज्यादा मिलता है। तीर्थइंद्र सिंह गांव की सहकारी सभा का सदस्य है। उसकी मेहनत को देखते हुए सभा के सभी सदस्यों ने इस वर्ष सोसायटी में नया सुपर सीडर खरीदा है। तीर्थइंद्र ने बाकी के किसानों को भी ये तरीका अपनाने को कहा।

chat bot
आपका साथी