अमलोह में सबसे पहले उठाया था बगावत का झंडा, सिद्धू खेमे से मिला मंत्री पद

जिले के विधान सभा क्षेत्र अमलोह में सबसे पहले कैप्टन अमरिदर सिंह के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले विधायक काका रणदीप सिंह को आखिर सिद्धू खेमे से मंत्री पद मिल ही गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 07:32 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 07:32 AM (IST)
अमलोह में सबसे पहले उठाया था बगावत 
का झंडा, सिद्धू खेमे से मिला मंत्री पद
अमलोह में सबसे पहले उठाया था बगावत का झंडा, सिद्धू खेमे से मिला मंत्री पद

धरमिदर सिंह, फतेहगढ़ साहिब

जिले के विधान सभा क्षेत्र अमलोह में सबसे पहले कैप्टन अमरिदर सिंह के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले विधायक काका रणदीप सिंह को आखिर सिद्धू खेमे से मंत्री पद मिल ही गया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की कैबिनेट में जगह बनाने वाले काका रणदीप सिंह सियासत में कोई नया चेहरा नहीं है। इन्हें विरासत में ही सियासत मिली हुई है।

नाभा परिवार का देश की सियासत में अहम योगदान रहा है। इनके दादा जनरल शिवदेव सिंह सेहत मंत्री थे। पिता गुरदर्शन सिंह चार बार विधायक और दो बार मंत्री रहे। माता सतिदर कौर पंजाब महिला कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहे। खुद दो बार नाभा और दो बार अमलोह से विधायक चुने गए। यही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह के विरोधी हैं। कैप्टन के खिलाफ सबसे पहले बगावत का झंडा अमलोह से इन्होंने ही उठाया था। इसका कारण था कि वरिष्ठता के बावजूद उन्हें कैप्टन की कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी। सरकार में उनकी सुनवाई भी नहीं हो रही थी। काका रणदीप ने इसका सरेआम विरोध करते हुए वर्ष 2019 में पटियाला से लोक सभा चुनाव के लिए पार्टी से टिकट मांगी थी। टिकट न मिलने पर काका रणदीप सिंह ने विरोध किया था। वे महारानी के हक में प्रचार करने भी नहीं गए थे। कैप्टन का विरोध करने के बाद अब उन्हें चन्नी की कैबिनेट में भी जगह नहीं दी जा रही थी। वरिष्ठता का हवाला देकर काका रणदीप सिंह हाईकमान के आगे अड़े रहे। आखिर उन्हें मंत्री बनाना ही पड़ा। सूत्रों की मानें तो काका रणदीप ने हाईकमान से स्पष्ट कह दिया था कि अगर उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए नए चेहरों में उन लोगों को मंत्री बनाया जाएगा जो उनके सामने काफी जूनियर हैं तो वे चुप नहीं बैठेंगे। अंतर्कलह को मिटाने के लिए झुके कुलजीत नागरा

सूत्रों के अनुसार काका रणदीप सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल न करने को लेकर कांग्रेस में अंतर्कलह बढ़ रहा था। पहले से ही कैप्टन खेमे के पांच मंत्रियों को हटाने के बाद पार्टी में छिड़ी कलह को संभालना मुश्किल है। ऊपर से काका रणदीप बगावत पर उतर आए थे। जब नए मंत्रियों में से किसी ने कोई हामी नहीं भरी तो आखिर हाईकमान के समझाने पर फतेहगढ़ साहिब से विधायक कुलजीत सिंह नागरा झुकने को तैयार हो गए और काका को मंत्री पद देने पर सहमति जता दी। दैनिक जागरण ने पहले ही दिए थे संकेत

काका रणदीप सिंह को मंत्री पद न मिलने कारण पार्टी में फंसे पेंच को लेकर दैनिक जागरण ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि नागरा के लिए पार्टी सर्व प्रथम है, पद नहीं। यह खुलासा भी किया था कि नागरा मामले को सुलझाने में अहम रोल अदा कर सकते हैं। वही हुआ और नागरा ने पार्टी के लिए कोई मुश्किल खड़ी नहीं की। कृषि कानूनों के विरोध में मंत्री पद से किया इन्कार : नागरा

नागरा ने बाद दोपहर फेसबुक पर लाइव होकर कहा कि उन्होंने कृषि कानूनों के विरोध में मंत्री पद लेने से इन्कार किया है। क्योंकि वे पहले ही इस गंभीर मुद्दे को लेकर विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं जोकि विधानसभा स्पीकर के पास विचाराधीन है। उन्होंने पार्टी हाईकमान से बोल दिया था कि वे मंत्री पद नहीं लेंगे। साथ ही अपने समर्थकों, नजदीकियों व रिश्तेदारों से माफी मांगते हुए नागरा बोले कि हो सकता है कि उनके फैसले से किसी को भावनात्मक ठेस पहुंची हो। लेकिन वे किसानों के हित में अपना फैसला नहीं बदल सकते थे। यह विधायक और मंत्री बाद में हैं। सबसे पहले वे किसान के बेटे हैं और किसानों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे।

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