70 हजार खर्च कर बिहार से लेकर आए मजदूर
फतेहगढ़ साहिब जैसे जैसे धान की रोपाई का समय नजदीक आ रहा है उसी तरह किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खिचना शुरू हो गई हैं।
सुखवीर सुख, फतेहगढ़ साहिब: जैसे जैसे धान की रोपाई का समय नजदीक आ रहा है, उसी तरह किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खिचना शुरू हो गई हैं। इसका कारण उन्हें लेबर न मिलना है। अब किसान कोई भी खतरा उठाकर मजदूरों को यूपी व बिहार से लाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहे है। गौर हो कि कोरोना महामारी के कारण जहां प्रदेश से मजदूर अपने अपने राज्यों को चले गए है। पहले गेहूं का सीजन तो जैसे तैसे कर किसानों ने पूरा कर लिया, लेकिन अब धान की रोपाई के लिए लेबर बिल्कुल न होने के कारण किसान खुद मोटे पैसे खर्च कर बाहरी राज्यों से मजदूरों को वापस ला रहे है। जिला फतेहगढ़ साहिब में ऐसे कई किसान हैं, जो लेबर को बों, टैंपो ट्रैवलर व ट्रकों के माध्यम से वापस यहां ला रहे हैं। जिले के गांव लाडपुरी के किसान जरनैल सिंह ने 70 हजार रुपये खर्च कर बिहार के मोतिहारी जिले से 11 मजदूर धान की रोपाई के लिए लाए हैं। जरनैल सिंह ने कहा कि वह लगभग 40 किल्ले पर खेती करते है। लेबर को वापस लाने के लिए उन्होंने एक टैंपो ट्रैवलर से संपर्क किया। जिसके लिए उन्हें तीन दिन का पास मिला और वह मजदूरों को लेने के लिए बिहार निकल पड़ा। मोतिहारी जिले से 11 मजदूरों को लेकर वह शनिवार देर शाम यहां पहुंचा। मजदूरों को गांव में ले जाने की जगह मोटर पर बने कमरे में क्वारंटाइन किया गया। चालक ने 20 रुपये किमी. के हिसाब से लिए पैसे किसान जरनैल सिंह ने बताया कि ट्रैवलर ड्राइवर ने उनसे 20 रुपये किलोमीटर के हिसाब से पैसे लिए। गांव लाडपुरी से मोतिहारी तक करीब 2820 लंबे सफर के उन्होंने 56,400 रुपये दिए। इसके अलावा टोल टैक्स के सात हजार रुपये, बिहार में मेडिकल चेकअप के दो हजार अलावा कुछ अन्य खर्च कर लगभग 70 हजार रुपये में 11 मजदूर धान की रोपाई के लिए लाए। सबके ले रहे हैं सैंपल : सिविल सर्जन वहीं सिविल सर्जन डॉ. एनके अग्रवाल ने बताया कि जो लेबर बाहर से किसान लेकर आ रहे हैं, उनका चेकअप कर सैंपल लिए जा रहे है। अगर रिपोर्ट नेगेटिव भी आती है, तो भी उन्हें कुछ दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जा रहा है।