पराली को नहीं लगाओ आग, जमीन की सेहत में होगा सुधार

जिले के गांव बरौंगा जेर का किसान पलविदर सिंह पिछले 12 वर्ष से पराली को बिना आग लगाए सफलतापूर्वक खेती कर रहा है। पलविदर सिंह के पास अपनी पांच एकड़ जमीन है और 15 एकड़ जमीन उसने ठेके पर ली हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 05:28 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 05:28 PM (IST)
पराली को नहीं लगाओ आग, जमीन की सेहत में होगा सुधार
पराली को नहीं लगाओ आग, जमीन की सेहत में होगा सुधार

संवाद सहयोगी, फतेहगढ़ साहिब : जिले के गांव बरौंगा जेर का किसान पलविदर सिंह पिछले 12 वर्ष से पराली को बिना आग लगाए सफलतापूर्वक खेती कर रहा है। पलविदर सिंह के पास अपनी पांच एकड़ जमीन है और 15 एकड़ जमीन उसने ठेके पर ली हुई है। वह पोस्ट ग्रेजुएट है और कोआपरेटिव मैनेजमेंट का हायर डिप्लोमा किया हुआ है। यह किसान वर्ष 2008 से लगातार हैप्पी सीडर से गेहूं की बीजाई करता आ रहा है और इसी वर्ष उसने फसलों के अवशेषों को आग लगाना बंद कर दिया था। इस कारण उसकी जमीन के सेहत में सुधार हुआ है। यह किसान गेहूं, धान, आलू और सूरजमुखी की बीजाई करता है।

पलविदर सिंह ने पिछले वर्ष 350 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर उसमें से 150 एकड़ एरिया में धान की सीधी बीजाई आर 200 एकड़ एरिया में हैप्पी सीडर से गेहूं की सीधी बीजाई की। इस किसान द्वारा किए प्रयासों का कृषि व किसान भलाई विभाग और पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के माहिरों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाता है। यह जिले का पहला किसान है, जिसने अपनी कंबाइन पीछे स्ट्राय मैनेजमेंट सिस्टम लगवाया हुआ है। वह किसान कृषि और किसान भलाई विभाग तथा कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना की तकनीकों को अपना खेतों में अपनाकर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है। पलविदर सिंह ने वर्ष 2006 में पंजाबी कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना से मशरूम की काश्त और वर्ष 2009 में केंद्रीय बागबानी संस्थान लखनऊ से फलों की संभाल बारे ट्रेनिग ली। वर्ष 2013 में डबलिग फूड प्रोडक्शन विषय पर नई दिल्ली में हुई इंटरनेशनल कांफ्रेंस में पलविदर सिंह ने पंजाब का प्रतिनिधित्व भी किया। इसी वर्ष उसने बेल्जियम में बायो-रीफाइनिग तकनीक बारे हुई वर्कशाप में भाग लिया। पलविदर सिंह को वर्ष 2014 में चौथे जट्ट एक्सपो में विशेष सम्मान और वर्ष 2015 में हैदराबाद में आइआरआरआइ द्वारा इनोवेटिव राइस फार्मर अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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