तीन साल में कौंसिल अधिकारियों से मिलकर ठेकेदार ने सफाई सेवकों के लाखों रुपये हड़पे

बस्सी पठाना में एक ठेकेदार ने तीन साल में दो दर्जन से अधिक सफाई सेवकों की मेहनत के लाखों रुपये हड़प लिए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 08:14 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 08:50 AM (IST)
तीन साल में कौंसिल अधिकारियों से मिलकर  ठेकेदार ने सफाई सेवकों के लाखों रुपये हड़पे
तीन साल में कौंसिल अधिकारियों से मिलकर ठेकेदार ने सफाई सेवकों के लाखों रुपये हड़पे

धरमिदर सिंह, बस्सी पठाना (फतेहगढ़ साहिब) : एक तरफ पंजाब में अपनी मांगों को लेकर सफाई सेवक हड़ताल पर हैं वहीं दूसरी ओर बस्सी पठाना में एक ठेकेदार ने तीन साल में दो दर्जन से अधिक सफाई सेवकों की मेहनत के लाखों रुपये हड़प लिए। ठेकेदार के इस गबन में नगर कौंसिल के कई अधिकारी भी फंसेंगे। पंजाब राज्य सफाई कर्मचारी आयोग ने इसकी जांच बिठा दी है। तीन सदस्यीय कमेटी में नायब तहसीलदार, श्रम विभाग के सहायक कमिश्नर व जिला भलाई अधिकारी को शामिल किया गया है। यह कमेटी 15 दिन में अपनी अंतिम रिपोर्ट देगी कि कितने रुपयों का गबन, किस-किस की मिलीभगत से हुआ है। जिसके उपरांत एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए।

जानकारी के अनुसार सफाई सेवकों ने आयोग के चेयरमैन गेजा राम से शिकायत की थी कि बस्सी पठाना में वर्ष 2015 से लेकर 2017 तक सफाई सेवकों के वेतन में से काटी रकम और ईपीएफ के लाखों रुपये ठेकेदार ने उन्हें नहीं दिए। मंगलवार को चेयरमैन गेजा राम नगर कौंसिल बस्सी पठाना में जांच करने पहुंचे तो दस्तावेजों से पोल खुल गई। उक्त तीन साल के दौरान ठेकेदार ने सफाई सेवकों को डीसी रेट पर वेतन तक नहीं दिया। नगर कौंसिल का एक कर्मी खुद सफाई सेवकों को वेतन काटकर नकद रकम देता था। ईपीएफ के नाम पर उन्हें गुमराह किया जाता रहा। तीन साल के दौरान ईपीएफ का एक पैसा जमा नहीं कराया गया। जबकि, ठेकेदार को डीसी रेट पर वेतन का 13.61 फीसद ईपीएफ जमा कराना होता है। इसमें से कुछ रकम वेतन में से काटनी होती है। इस रकम को वेतन से काट लिया जाता था। लेकिन ईपीएफ जमा नहीं कराया गया। जांच में ये भी सामने आया कि ठेकेदार ने नगर कौंसिल के कुछ अधिकारियों से मिलकर लाखों रुपये हड़प किए। क्योंकि, अधिकारियों के हस्ताक्षरों के बाद ही ठेकेदार के बिल पास होते हैं। उस समय हैरानी हुई जब कई दस्तावेजों पर ठेकेदार के हस्ताक्षर तक नहीं थे और नगर कौंसिल की तरफ से उसे भुगतान किया जा चुका था। चेयरमैन ने इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए टीम गठित की। साथ ही इस बाबत जिले की डीसी और एसएसपी को सूचित कराया गया। उक्त गबन में जो भी दोषी पाया गया, उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं के साथ साथ एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई। तीन साल में सफाई सेवकों का शोषण होता रहा। इसके लिए उस समय के नगर कौंसिल अध्यक्ष भी जिम्मेवार हैं। अध्यक्ष और अधिकारियों की मिलीभगत बगैर ठेकेदार अकेला इतनी हिम्मत नहीं कर सकता। दस्तावेजों में भी सुबूत मिले हैं कि लाखों रुपये के गबन में उक्त सभी कसूरवार हैं। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाएगा।

गेजा राम, चेयरमैन, पंजाब राज्य सफाई कर्मचारी आयोग मैंने केवल वेतन दस्तावेजों पर साइन किए थे। ईपीएफ को लेकर ईओ व अकाउंटेंट की जिम्मेवारी होती है। इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है। मैं हर प्रकार की जांच को तैयार हैं। जिसने गबन किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

परमिंदर सिंह, पूर्व नगर कौंसिल अध्यक्ष

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