करोड़ों का बजट होने के बावजूद कौंसल सालों से नहीं लगवा पा रही ट्रैफिक लाईटें

करोड़ों का बजट रखने वाली प्रसिद्ध लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ की नगर कौंसिल पिछले कई सालों से ट्रैफिक लाईटें नहीं लगवा पाई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 07:10 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 07:10 PM (IST)
करोड़ों का बजट होने के बावजूद कौंसल सालों से नहीं लगवा पा रही ट्रैफिक लाईटें
करोड़ों का बजट होने के बावजूद कौंसल सालों से नहीं लगवा पा रही ट्रैफिक लाईटें

इकबालदीप संधू, मंडी गोबिदगढ़

करोड़ों का बजट रखने वाली प्रसिद्ध लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ की नगर कौंसिल पिछले कई सालों से ट्रैफिक लाईटें नहीं लगवा पाई। जिसके चलते शहर में रोजाना ट्रैफिक बेलगाम हो जाता है। इसी ट्रैफिक समस्या के चलते रोजाना ही ट्रैफिक जाम से शहरवासी जूझ रहे है जिसकी तरफ प्रशासन का कोई ध्यान नहीं हैं।

लोगों का आरोप है कि अगर पिछले 10 सालों की बात करें तो ट्रैफिक समस्या बढ़ी है जबकि शहर की ट्रैफिक समस्या को हल करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर लगभग तीन किलोमीटर तक ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया था।

ओवर ब्रिज बनने से ज्यादा बढ़ी ट्रैफिक समस्या : जसप्रीत मटीयार

बेशक शहर की ट्रैफिक समस्या हल करने के लिए ओवर ब्रिज बनाया गया, लेकिन ट्रैफिक समस्या हल होने की बजाए और भी बढ़ गई। इसका एक मुख्य कारण यह भी रहा कि खन्ना स्थित प्रिस्टीन माल से लेकर आदर्श मिल समक्ष तक एक ही ओवर ब्रिज है। जहां से एक बार वाहन चढ़ने के बाद वाहन मंडी गोबिदगढ़ की तरफ उतरता है और ठीक वैसे ही आदर्श मिल से पुल चढ़ने पर प्रिस्टीन माल पर वाहन चालक पहुंच जाते हैं। जबकि जिन लोगों ने शहर में आना जाना है उनके लिए रास्ते में कोई कट नहीं।

शहर में वाहनों का कोई सिस्टम नहीं : विकास जोशी

शहर में ट्रैफिक की सबसे ज्यादा समस्या लोगों ने खुद खड़ी की हुई है। शहर के बाजारों समेत तमाम रास्तों पर वाहन चलाने के लिए कोई सिस्टम ही नहीं, कोई कहीं से कभी भी सड़क पर आ जाता है। कोई लेन का ध्यान नहीं रखता। वहीं लिक सड़कों से लेकर हर तरफ लोगों द्वारा बेढंग अपने वाहनों की पार्किंग की जाती है।

शहर में कहीं नहीं चलती ट्रैफिक लाइट : प्रभदीप सिंह

हैरत इस बात पर है कि शहर में ट्रैफिक समस्या पूरे शुमार पर है, लेकिन शहर में कहीं भी ट्रैफिक लाइटों का कोई प्रबंध नहीं किया। शहर के मुख्य चौराहे पर चारों तरफ से ट्रैफिक आता जाता है। लेकिन ट्रैफिक लाइट न होने के कारण रोजाना राहगीरों को दिक्कत महसूस होती है। ऐसा ही कुछ हाल मुख्य बस स्टैंड पर है तथा तमाम कई ऐसे रास्ते और चौक है जहां पर ट्रैफिक लाइटें लगी होनी जरूरी हैं।

लिक सड़कों पर अवैध कब्जे भी ट्रैफिक जाम बढ़ातें हैं : अश्विनी

लोहानगरी में जितनी भी लिक सड़कें हैं उस पर काफी लोगों ने अवैध कब्जे कर रखें हैं जिसमें शहर की दोनों और सरहिद व खन्ना की तरफ सालों से ये सिलसिला जारी है। इसके अलावा अमलोह रोड का भी यहीं हाल है लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। यही नहीं लिक सड़कों पर रोजाना लगने वाले ट्रैफिक जाम में लाखों का तेल फूंक दिया जाता है लेकिन उसका कोई हल नहीं किया जाता। जबकि चुनावी वायदों में ऐसे मुद्दों का कभी जिक्र भी नहीं होता जिससे काफी हैरानी है क्योंकि ये जनता के सीधे मुद्दे हैं।

ट्रैफिक लाइटों के लिए कई बार नगर कौंसिल को लिखा

ट्रैफिक पुलिस प्रभारी गुरमीत सिंह ने कहा कि ट्रैफिक लाइटों के लिए नगर कौंसिल में कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन कोई भी हल नहीं निकाला गया। जबकि ट्रैफिक लाइटों से ज्यादा जाम का कारण पूरे शहर की सड़कों का टूट जाना है, जिस पर पड़े बड़े खड्डे वाहन चालकों के लिए मुसीबत खड़ी करते हैं। वहीं ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए फिलहाल 10 मुलाजिम ड्यूटी देते हैं, लेकिन लोग खुद भी अपना फर्ज नहीं समझते जिस कारण रूटीन में वाहनों के चालान किए जाते है।

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