दीदार भट्टी की राह में रोड़ा बने हरमेल टोहड़ा, फतेहगढ़ साहिब से जताई दावेदारी

शिरोमणि अकाली दल (बादल) की तरफ से विधान सभा चुनाव के लिए मजबूत दावेदारी जताने वाले दीदार सिंह भट्टी की राह में टोहड़ा परिवार रोड़ा बना हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 08:05 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 08:05 AM (IST)
दीदार भट्टी की राह में रोड़ा बने हरमेल  टोहड़ा, फतेहगढ़ साहिब से जताई दावेदारी
दीदार भट्टी की राह में रोड़ा बने हरमेल टोहड़ा, फतेहगढ़ साहिब से जताई दावेदारी

धरमिदर सिंह, फतेहगढ़ साहिब

शिरोमणि अकाली दल (बादल) की तरफ से विधान सभा चुनाव के लिए मजबूत दावेदारी जताने वाले दीदार सिंह भट्टी की राह में टोहड़ा परिवार रोड़ा बना हुआ है। 27 बार एसजीपीसी अध्यक्ष रहने वाले पंथ रत्न गुरचरण सिंह टोहड़ा के दामाद एवं पूर्व मंत्री हरमेल सिंह टोहड़ा ने भी फतेहगढ़ साहिब से दावेदारी जताई है। यहां तक कि हरमेल अपने ससुर गुरचरण टोहड़ा के समर्थकों से अंदरखाते मुलाकातें भी करने लगे हैं। कुछ अकाली नेताओं से भी मुलाकात करते हुए यहां से विधान सभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई जा रही है। हरमेल के बेटे हरिदरपाल सिंह टोहड़ा भी मुलाकात कर रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो दीदार भट्टी के विरोधियों ने हरमेल को टिकट देने पर सहमति जता दी है। चूंकि, भट्टी को टिकट देने पर पहले ही क्षेत्र में अकाली दल की गुटबंदी बढ़ गई थी, जिसका खामियाजा अब तक पार्टी भुगत रही है। टोहड़ा की दावेदारी के चलते ही पार्टी हाईकमान ने फतेहगढ़ साहिब का प्रत्याशी घोषित करने में देरी कर दी है। बताया जाता है कि सुखबीर बादल यहां जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहते। वे दोनों ही नेताओं को एडजस्ट करने पर विचार कर रहे हैं। देरी इसलिए हो रही है कि दोनों ही यहां से टिकट मांग रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सुखबीर बादल ने दीदार भट्टी को खन्ना विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की आफर दी थी, जिससे भट्टी ने इंकार कर दिया था। वहीं हरमेल टोहड़ा भी पटियाला देहाती से चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। 1997 में डकाला से विधायक बने थे हरमेल टोहड़ा

हरमेल टोहड़ा सियासत में कोई नया नाम नहीं है। विधायक के साथ साथ मंत्री पद पर रहने का अनुभव भी है। वर्ष 1997 में डकाला से शिरोमणि अकाली दल (बादल) की तरफ से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। सरकार में उन्हें लोक निर्माण मंत्री बनाया गया था। सनौर व पटियाला देहाती से भी चुनाव लड़ चुके हैं। पार्टी द्वारा पटियाला देहाती क्षेत्रीय प्रभारी हटाने के बाद हरमेल टोहड़ा वर्ष 2016 में अपनी पत्नी कुलदीप कौर टोहड़ा को साथ लेकर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। लोक सभा चुनाव 2019 के दौरान मियां-बीवी दोबारा अकाली दल में आए। कुलदीप कौर टोहड़ा इस समय एसजीपीसी की कार्यकारी सदस्य हैं। सुखबीर को भट्टी के बागी होने का डर

शिअद (बादल) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को यह डर भी सता रहा है कि भट्टी को टिकट नहीं दी तो वे बागी हो सकते हैं। क्योंकि, 2012 में प्रेम सिंह चंदूमाजरा को टिकट देने पर दीदार सिंह भट्टी बागी हो गए थे। भट्टी पीपुल्स पार्टी आफ पंजाब (पीपीपी) की तरफ से चुनाव लड़े थे और 32065 वोटें लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि, चंदूमाजरा मात्र 3538 वोटों के फर्क से कुलजीत सिंह नागरा से हार गए थे। मैं अभी किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता। फतेहगढ़ साहिब से चुनाव लड़ने पर मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। जब मौका आएगा तो बोल देंगे। चुनाव लड़ने का मौका पार्टी ने देना है। यह तो चलता ही रहता है। बोलते वो हैं, जिन्हें आस नहीं होती।

हरमेल टोहड़ा टोहड़ा की दावेदारी, मुलाकात करने और गतिविधियां बढ़ाने को लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है। मैं पार्टी की मजबूती के लिए पूरी मेहनत कर राह हूं।

दीदार सिंह भट्टी, पूर्व विधायक

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