भगवान महावीर की सबसे उच्च शिक्षा है 'जियो और जीने दो' : नवीन जैन

माता श्री चक्रेश्वरी जैन मंदिर प्रबंधक कमेटी के सचिव नवीन कुमार जैन ने भगवान महावीर की शिक्षाओं पर चलने की प्रेरणा दी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 07:01 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 07:01 PM (IST)
भगवान महावीर की सबसे उच्च शिक्षा 
है 'जियो और जीने दो' : नवीन जैन
भगवान महावीर की सबसे उच्च शिक्षा है 'जियो और जीने दो' : नवीन जैन

जागरण संवाददाता, फतेहगढ़ साहिब : माता श्री चक्रेश्वरी जैन मंदिर प्रबंधक कमेटी के सचिव नवीन कुमार जैन ने भगवान महावीर की शिक्षाओं पर चलने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर की सबसे उच्च शिक्षा है 'जियो और जीने दो।' आज जब लोग इस शिक्षा का अर्थ निकालते हैं तो उसका सरलीकरण कर देते हैं। उसे जरूरत से ज्यादा साधारण बना देते हैं। उन्हें लगता है कि इस शिक्षा का अर्थ मात्र यह है कि हमें दूसरों के जीवन में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए। सिर्फ इतना करके उन्हें लगता है कि वे महावीर की शिक्षा का अनुकरण कर रहे हैं। जबकि यह तो इस शिक्षा का सबसे सीमित अर्थ है। लेकिन यदि लोग वास्तव में सिर्फ इस सीमित अर्थ को भी पूरी तरह अपने जीवन में उतारकर इसका अनुकरण करें तो संसार में चल रहे सारे युद्ध बंद हो जाएंगे।

नवीन जैन ने कहा कि जियो का अर्थ है कि हम कहां जी रहे हैं। क्या वर्तमान में जी रहे हैं या भूतकाल की यादों में जी रहे हैं। कौन से काल, किस याद्दाश्त में जी रहे हैं। भविष्य की किस कल्पना में जी रहे हैं। अधिकांश लोग आज भी पुरानी यादों में या फिर भविष्य की कल्पनाओं में जीते हैं। अब आपको वर्तमान में जीना है, वर्धमान बनना है क्योंकि आप वर्धमान बनेंगे तो ही सही मायने में भगवान महावीर की शिक्षाओं का अनुसरण होगा। जीने दो का अर्थ है संतोष, तेज आनंद, देना और बांटना। तेज आनंद यानी सुख और दुख के परे का आनंद। जिसके पास यह आनंद है, वही दूसरों को जीने दे सकता है। दुखी इंसान दूसरों को जीने नहीं देता। उसके पास नफरत की इतनी ताकत होती है कि वह दूसरों पर दबाव डालने की कोशिश करता है मगर उसे खुद भी नहीं मालूम कि वह दूसरों के जीने में बाधा क्यों डाल रहा है क्योंकि वह स्वयं तेज आनंद में नहीं है। जो आनंद में है, जो आनंद जानता है, वही दूसरों को जीने दे सकता है।

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