बस्सी पठाना में बसपा की साख अकालियों के हाथ

पंजाब की सियासत में शनिवार को शिरोमणि अकाली दल (बादल) और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन से नए समीकरण देखने को मिलेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 05:15 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 05:15 AM (IST)
बस्सी पठाना में बसपा की साख अकालियों के हाथ
बस्सी पठाना में बसपा की साख अकालियों के हाथ

धरमिदर सिंह, बस्सी पठाना (फतेहगढ़ साहिब)

पंजाब की सियासत में शनिवार को शिरोमणि अकाली दल (बादल) और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन से नए समीकरण देखने को मिलेंगे। लगे हाथ ही बसपा को 20 विधानसभा क्षेत्र भी सौंप दिए गए जहां से उनके प्रत्याशी गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ेंगे। इनमें फतेहगढ़ साहिब जिले का विधानसभा क्षेत्र बस्सी पठाना भी है। 2012 में बने इस क्षेत्र में सियासी नतीजे बसपा की उम्मीदों के विपरीत ही रहे हैं। नतीजों के आंकड़े इस बात का पुख्ता प्रमाण हैं कि यहां बसपा की साख अकालियों के हाथ है। गठबंधन की मजबूती के लिए शिरोमणि अकाली दल के समूह नेता और वर्कर यदि एक झंडे के नीचे एकत्रित होकर दिन-रात मेहनत करेंगे तो यहां कड़ी टक्कर दी जा सकेगी। इससे पहले बस्सी पठाना में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के करीबी एवं पूर्व आइएएस अधिकारी दरबारा सिंह गुरु अकाली दल के मजबूत दावेदार थे। बेशक गुरु वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव भी फतेहगढ़ साहिब से हार गए थे। लेकिन बादल परिवार से नजदीकियां होने के चलते उनका टिकट काटना इतना आसान नहीं था। वहीं बस्सी पठाना में दिनोंदिन कमजोर पड़ रहे अकाली दल को यहां से मजबूत प्रत्याशी ढूंढना भी बड़ी चुनौती बना हुआ था। यह भी एक कारण माना जा रहा है कि इस क्षेत्र को बसपा के हवाले कर दिया गया। बसपा की तरफ से यहां करीब एक वर्ष पहले एडवोकेट शिव कुमार कल्याण को क्षेत्रीय प्रभारी लगाया गया था। बसपा उम्मीदवारों की सूची में कल्याण ही सबसे मजबूत दावेदार हैं। वे समराला और खमाणों में प्रेक्टिस करते हैं। समराला में उनकी रिहायश है। इस क्षेत्र में बसपा का जनाधार देखें तो पार्टी के लिए वोट बैंक बनाना आसान नहीं होगा। लगातार गिरे ग्राफ को उठाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी होगी। गठबंधन की जीत के लिए अकालियों को सच्चे मन से बसपा का साथ देना होगा।

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जस्टिस निर्मल के बाद ढहा अकाली दल का किला

वर्ष 2012 से पहले बस्सी पठाना कस्बा विधानसभा क्षेत्र सरहिद के अधीन था। यह अकाली दल का गढ़ था। 2012 में समराला विधानसभा क्षेत्र से खमाणों और खन्ना क्षेत्र से खेड़ी नौध सिंह को तोड़कर बस्सी पठाना विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। एससी रिजर्व क्षेत्र से पहली बार ही अकाली दल के जस्टिस निर्मल सिंह जीते थे। 2017 में उनका क्षेत्र बदल दिया गया। 2017 में पैराशूट से दरबारा सिंह गुरु को यहां उतारने से अकाली दल में गुटबंदी बढ़ गई थी। इसका नतीजा यह रहा था कि गुरु तीसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह जीपी ने जीत हासिल की थी। आम आदमी पार्टी के संतोख सिंह सलाणा दूसरे नंबर पर रहे थे। 2012 में इस क्षेत्र से 45692 वोट लेकर जीतने वाले अकाली दल को पांच वर्ष बाद 24852 वोट मिले थे। अब जस्टिस निर्मल सिंह के शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) में शामिल होने पर इस क्षेत्र से अकाली दल (बादल) की मुश्किलें और बढ़ गई थीं।

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लिप से महागठबंधन के बाद बढ़ा था बसपा का हौसला

लोकसभा चुनाव 2019 में लोक इंसाफ पार्टी की ओर से बसपा समेत कुछ अन्य सियासी दलों से हुए महागठबंधन से बसपा का हौसला बढ़ा था। फतेहगढ़ साहिब से महागठबंधन के प्रत्याशी इंजीनियर मनविदर सिंह ग्यासपुरा थे। इन्हें 1,42,274 वोट मिले थे और तीसरे नंबर पर रहे थे। ग्यासपुरा को बस्सी पठाना से करीब 17 हजार वोट मिले थे। पायल विधान सभा क्षेत्र से करीब 24 हजार वोट महागठबंधन के प्रत्याशी ने हासिल किए थे। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर बसपा को ये दो सीटें दी गई हैं।

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