सहेज रहे बारिश का पानी और बहा रहे विकास की धारा, सूख चुके तीन तालाबों का किया जीर्णोद्धार

जल का जागरण दैनिक जागरण अपने जल संरक्षण सरोकार के तहत जल को सहेजने के सतत प्रयास में लगा है। इसी क्रम में लोगों को जागरूक करने के लिए जल प्रहरियों की कहानियां आप तक पहुंचाई जा रही हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 09:14 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 09:21 AM (IST)
सहेज रहे बारिश का पानी और बहा रहे विकास की धारा, सूख चुके तीन तालाबों का किया जीर्णोद्धार
वर्ष भर पानी भरे रहने से गांव को खारे पानी की समस्या से भी निजात भी मिल गई है।

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट। पंजाब में फरीदकोट के मचाकी कलां ग्राम पंचायत को पंडित दीनदयाल सशक्तीकरण राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में अपनी मेहनत और समर्पण का मीठा फल मिला है। पंचायत को यह पुस्कार पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल को मिला। इसका श्रेय गांव के सरपंच गुरशिविंदर सिंह को जाता है। इस ग्राम पंचायत में न केवल बारिश के पानी को सहेजा जा रहा है, बल्कि यह पानी जरूरत के समय खेतों की सिंचाई में भी इस्तेमाल हो रहा है। सरपंच ने गांव के सूख चुके पुराने तीन तालाबों का जीर्णोद्धार करवाया है। इन तालाबों में अब बारिश व वाटर वक्र्स के अतिरिक्त पानी को इकट्ठा किया जाता है। इन तालाबों की वजह से ही गांव का भूजल स्तर 30 से 32 फीट से नीचे नहीं गया है। इनमें वर्ष भर पानी भरे रहने से गांव को खारे पानी की समस्या से भी निजात भी मिल गई है।

2013 से गांव के सरपंच गुरशिविंदर सिंह ने बताया कि सरपंच बनने से पहले उनके मन में था कि गांव के पुराने तालाबों की दशा सुधरे। साथ ही, बारिश के पानी को भी सहेजा जाए। बकौल गुरशिविंदर सिंह सरपंच बनने के बाद मैंने गांव के विकास के लिए कई काम किए, लेकिन साढ़े चार एकड़ में फैले तीनों तालाबों के जीर्णोद्धार का काम मेरी महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। मनरेगा के माध्यम से इन तालाबों को नया जीवन दिया गया। अब इन तालाबों में बारिश का पानी जमा होता है। गांव के वाटर वक्र्स का पानी यूं ही बर्बाद होता था, जिसे पाइप के माध्यम से तालाब से जोड़ दिया। अब वाटर वक्र्स का पानी भी तालाब में भरता रहता है। बारिश के दिनों में इन तालाबों में जो पानी ज्यादा हो जाता है, उसे धान की सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तीनों तालाब फिर से पानी से भर जाने के कारण अब यहां कई वे पक्षी दिखने लगे हैं, जो गायब हो चुके थे।

गुरशिविंदर ने बताया कि सरपंच बनने के बाद उन्होंने गांव में छह करोड़ रुपये से अधिक अनुदान राशि लाकर विकास कार्य किए हैं। गांव में अब न तो कोई सड़क और न ही कोई गली कच्ची है। सभी में इंटरलाकिंग टाइलें लगी हुई हैं। गांव के गंदे पानी की निकासी के लिए समुचित प्रबंध हैं। गंदे पानी की निकासी के लिए अधिकांश नालियां अंडरग्राउंड हैं। गांव में पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग पार्क बनाए गए हैं। बच्चों के लिए झूले व सैर के लिए फुटपाथ बनाए गए हैं। गांव के श्मशानघाट का भी जीर्णोद्वार किया गया है। गांव में पंचायत भवन, सामुदायिक हाल, स्कूल, डिस्पेंसरी आदि का सुंदरीकरण किया गया है।

जल का जागरण: दैनिक जागरण अपने जल संरक्षण सरोकार के तहत जल को सहेजने के सतत प्रयास में लगा है। इसी क्रम में लोगों को जागरूक करने के लिए जल प्रहरियों की कहानियां आप तक पहुंचाई जा रही हैं।

पंचायत बनवा रही मैरिज हाल: सरपंच गुरशिविंदर सिंह ने बताया कि गांव के लोगों के लिए शादी के समय मैरिज हाल बुक करना मुश्किल भरा काम होता है। इसमें अधिक पैसे लगते हैं। इसे देखते हुए गांव में 500 लोगों की क्षमता वाला मैरिज हाल बनाया जा रहा है। इससे गांव के लोगों को सुविधा होगी। इसे ग्राम पंचायत अपनी बचत और अन्य अनळ्दानों से बनवा रही है।

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