स्माग से 120 मीटर रही बिजिबिलिटी

स्माग का प्रकोप बढ़ने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 05:44 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 07:33 AM (IST)
स्माग से 120 मीटर रही बिजिबिलिटी
स्माग से 120 मीटर रही बिजिबिलिटी

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

स्माग बढ़ने लगा है। शुक्रवार की सुबह से शाम तक वातारण में धुंध छाई रही। धुंध के कारण धूप भी बेसअर दिखाई पड़ी, और विजिबिलिटी भी सामान्य से 120 मीटर कम रही। वर्तमान समय में कोरोना महामारी के साथ ही डेंगू बीमारी की गंभीर समस्या दिखाई दे रही है, ऐसे में अब स्माग की समस्या लोगों की सेहत के लिए और परेशानी लेकर आई है।

फरीदकोट सिविल अस्पताल के एसएमओ डाक्टर चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि ठंड के मौसम में तापमान में गिरावट और वातावरण में नमी बढ़ने के साथ हवा में मौजूद जहरीली गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और हाइड्रो कार्बन के मोटे कण जमीन से थोड़ा ऊपर हवा में एक आवरण बना लेते हैं, जिन्हें हम स्माग कहते हैं। देखने में यह बिल्कुल धुंध जैसे दिखाई देते हैं। स्माग की वजह से फेफड़े, ह्दय रोग और चर्म रोग जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी सांस लेने वाली बीमारी सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों को हो रही है। सीओपीडी फेफड़े से जुड़ी बीमारी होती है जो सांसों को अवरुद्ध करती है और इससे सांस लेने में मुश्किल होती है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज अभी तक बीड़ी या सिगरेट पीने वालों में ही ज्यादातर देखने को मिलती थी, लेकिन अब ये बीमारी उन लोगों में भी तेजी से हो रही जो स्मोकिग नहीं करते। इसके पीछे कारण वायु प्रदूषण और स्मॉग है। वीरवार के मुकाबले शुक्रवार को दिन का तापमान चार डिग्री सेल्सियस नीचे लुढ़कर 32 डिग्री सेल्सियस पर रहा, जबकि विजीबिलिटी सामान्य से कम रही। बाक्स

सुबह की सैर से बचें : डा. विश्वजीत

डाक्टर विश्वदीप गोयल व डाक्टर पुष्पिदर सिंह कूका ने बताया कि हवा की हद से ज्यादा खराब क्वालिटी का हमारे श्वसनतंत्र के साथ-साथ हृदय, फेफड़े, लिवर और शरीर के दूसरे अंगों पर भी बुरा असर पड़ता है। स्माग की वजह से आंख, गला, बाल के साथ-साथ त्वचा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बीमार पड़ने से बचना है, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें। सुबह सैर पर जाने से बचें और अगर जाना भी हो तो थोड़ी देर से निकलें और खाली पेट सैर पर न जाएं। सुबह टहलने के दौरान मास्क का प्रयोग अवश्य करें या चेहरे पर रुमाल या कोई साफ कपड़ा बांध सकते हैं ताकि प्रदूषण के कण शरीर के अंदर न जाएं। जहां तक संभव हो घर के अंदर ही एक्सरसाइज या योग करें, बाहर वर्कआउट करने से बचें। घर के आसपास धूल जमा हो तो पानी का छिड़काव करें। ऑफिस या घर के अंदर एयर प्यूरीफाई करने वाले पौधे लगाएं जैसे- मनी प्लांट, तुलसी आदि। प्रदूषित हवा से आंखों में जलन हो सकती है इसलिए बाहर से घर लौटते ही आंखों को ठंडे पानी से धोएं। सांस के मरीज, अस्थमा के मरीज और छोटे बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें। बच्चों को घर के अंदर ही रखें और आउटडोर ऐक्टिविटीज को पूरी तरह से बंद कर दें। घर के आसपास न तो कूड़ा जलाएं और न किसी और को जलाने दें। बुजुर्ग, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं सुबह के वक्त अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें या धूल भले स्थान पर जाने से बचें।

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