बीस पार्षदों वाले संधू पर आठ पार्षदों वाले सिद्धू पड़े भारी

कोटकपूरा नगर कौंसिल प्रधान पद चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी व वर्करों ने जो कभी सोचा भी नहीं था वह शुक्रवार को घटित हो गया। पार्टी व सरकार के फरमान पर कोटकपूरा में कांग्रेस की धड़ेबंदी भारी पड़ी। न तो कोविड़ नियमों का पालन किया गया और न ही हाईकोर्ट के आदेश पर निष्पक्ष रूप से चुनाव प्रक्रिया पूरी हो पाई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 12:20 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 12:20 AM (IST)
बीस पार्षदों वाले संधू पर आठ पार्षदों वाले सिद्धू पड़े भारी
बीस पार्षदों वाले संधू पर आठ पार्षदों वाले सिद्धू पड़े भारी

प्रदीप कुमार सिंह, कोटकपूरा : कोटकपूरा नगर कौंसिल प्रधान पद चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी व वर्करों ने जो कभी सोचा भी नहीं था, वह शुक्रवार को घटित हो गया। पार्टी व सरकार के फरमान पर कोटकपूरा में कांग्रेस की धड़ेबंदी भारी पड़ी। न तो कोविड़ नियमों का पालन किया गया और न ही हाईकोर्ट के आदेश पर निष्पक्ष रूप से चुनाव प्रक्रिया पूरी हो पाई। प्रदेश में अपनी ही पार्टी की सरकार और कौंसिल के 29 पार्षदों में से 20 पार्षदों को साथ लेकर भी पूर्व कांग्रेस जिला प्रधान अजयपाल सिंह संधू न तो अपनी पसंद का कौंसिल प्रधान और न उप-प्रधान बना पाए। 20 पार्षदों वाले संधू को उनके ही पार्टी के वैचारिक विरोधी भाई राहुल सिंह सिद्धू ने आठ पार्षदों को साथ लेकर करारी शिकस्त दी है। सिद्धू अपनी पसंद के पार्षद का सीनियर उपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने में सफल रहे। यहीं, नहीं जब तक कौंसिल प्रधान का चुनाव नहीं होता, तब वह कार्यकारी प्रधान के रूप में कार्य करने की जिम्मेदारी भी सीनियर उपाध्यक्ष स्वतंत्र जोशी को दिलाने में सफल रहे।

कोटकपूरा कौंसिल के इतिहास में अपने आप में यह पहला मौका है जबकि कौंसिल के प्रधान से ज्यादा उप-प्रधान के लिए सियासी लड़ाई हो रही है। इसके पीछे का बड़ा कारण प्रधान पद बीसी कोटे के लिए आरक्षित है। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि 29 सीटों वाले कौंसिल में तीन पार्षद बीसी कोटे से जीते है। उनमें से दो सीधे रूप से और तीसरे का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन अजयपाल संधू को है। ऐसे में साबित होता है कि प्रधान पद से ज्यादा दोनों धड़ों में उप-प्रधान पद की लड़ाई थी, जिसमें बाजी राहुल सिद्धू के हाथ फिलहाल लगी है। अब संधू चुनाव प्राक्रिया को गैर संवैधानिक बता रहे है और जल्द हाईकोर्ट की शरण में जाकर दोबारा चुनाव करवाए जाने की मांग कर रहे है।

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