पहले हाकी मैच में रुपिदर पाल सिंह ने दागा गोल, टीम ने विजयी हुई शुरुआत

टोक्यो ओलंपिक में शुक्रवार की सुबह भारतीय हाकी टीम ने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला मैच खेला और शानदार जीत हासिल की

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:58 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:58 PM (IST)
पहले हाकी मैच में रुपिदर पाल सिंह ने दागा गोल, टीम ने विजयी हुई शुरुआत
पहले हाकी मैच में रुपिदर पाल सिंह ने दागा गोल, टीम ने विजयी हुई शुरुआत

जागरण संवाददाता, फरीदकोट :

टोक्यो ओलंपिक में शुक्रवार की सुबह भारतीय हाकी टीम ने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला मैच खेला और शानदार जीत हासिल की। टीम ने 3-2 से पहला मैच अपने नाम किया। मैच में फरीदकोट के रुपिदरपाल सिंह ने एक गोल और अमृतसर के हरमनप्रीत सिंह ने दो गोल किए। 32वें ओलंपिक में हाकी टीम की शानदार शुरुआत से सभी खेलप्रेमी खुश हैं।

रुपिदर पाल सिंह का परिवार में उनके माता-पिता को आशा है, कि इस बार भारतीय टीम गोल्ड मेडल जरूर जीतेगी, इसमें उनके बेटे का अहम रोल रहेगा। गत ओलंपिक में भी भारत की ओर से टाप स्कोरर रुपिदरपाल सिंह ही रहे है। रुपिदरपाल सिंह का परिवार के साथ ही रिश्तेदार व खेल प्रेमी भी उसके बेहतर खेल से खुश है।

हाकी कोच व जिला खेल अधिकारी बलविदंर सिंह ने बताया कि न्यूजीलैंड को हराने में दो गोल मार कर हरमनप्रीत सिंह और एक गोल मारकर रुपिदरपाल सिंह ने अहम रोल निभाया है। उन्होंने बताया कि मैच में हरमनप्रीत ने दो पैनल्टी कार्नर को गोल में तब्दील किया। उन्होंने बताया कि टीम इंडिया की जीत का उन्हें पूरा विश्वास था, क्योंकि इस बार की टीम में अनुभव के साथ युवा खिलाड़ियों को बेहतर समन्वयन है।

फरीदकोट शहर के नजदीक चहल रोड़ स्थित बाबा फरीद नगर में रुपिदर पाल सिंह के परिवार व रिश्तेदारों के साथ खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है। खेल प्रेमियों ने भारतीय हाकी टीम के इसी तरह से जीत का सिलसिला कायम रखने की अपील की है। रुपिदर की मां सुखविदर कौर ने कहा कि पिछले ओलंपिक में पदक न लाने का उन्हें मलाल है, लेकिन इस बार उन्हें पूरा यकीन है कि रुपिदर व उनके टीम के साथी सर्वश्रेष्ठ खेल का प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर लाएंगे। हाकी तो रुपिदर पाल के खून में है

11 नवंबर 1990 को फरीदकोट में जन्मे रुपिदर को हाकी विरासत में ही मिली। पिता हरिदर सिंह हाकी खेलते थे, रुपिदर ने 11 साल की उम्र में हाकी स्टिक पकड़ ली। रुपिदर को अपने फिरोजपुर निवासी ममेरे भाई और पूर्व भारतीय खिलाड़ी गगन अजीत सिंह से भी काफी मदद मिली। हाकी तो रुपिदर के खून में ही थी, तो प्रदर्शन तो अच्छा होना ही था। कुछ ही सालों में उनका चयन चंडीगढ़ हाकी अकादमी में हो गया। 20 साल की उम्र रुपिदरपाल सिंह ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच सुल्तान अजलान शाह कप में खेला, और टीम चैंपियन भी बनी। अगले साल इसी टूर्नामेंट में उन्होंने ब्रिटेन के खिलाफ हैट्रिक जमाई। वे टूर्नामेंट के टाप स्कोरर तो बने ही, साथ ही सुल्तान अजलान शाह इलेवन में भी जगह बनाई। 2013 में हाकी इंडिया लीग के लिए दिल्ली वेवराइडर्स ने उन्हें 38 लाख रुपये में अपनी टीम में शामिल किया, तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। इस टूर्नामेंट में उन्होंने सात गोल कर अपनी उपयोगिता साबित की। 2014 हाकी व‌र्ल्ड कप में टीम के उप कप्तान की भूमिका निभाई। एक साल बाद हाकी इंडिया लीग में दिल्ली की टीम चैंपियन बनी। इसमें रुपिदर ने सात महत्वपूर्ण गोल किए, वे 2014 ग्लास्गो कामनवेल्थ ओर एशियन गेम्स में हिस्सा लेने वाली टीम के सदस्य रहे। एशियन गेम्स में टीम इंडिया ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। रुपिदर पाल सिंह इससे पहले अगस्त 2016 में ब्राजील में हुई 31वीं ओलंपिक खेल में भी भारतीय टीम का हिस्सा बन अपनी प्रतिभा के जौहर दिखा चुके हैं।

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