धरने पर बैठे किसान की मौत मामले में यूनियन आंदोलित, शव के अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं किसान नेता

धरने में किसान की मौत मामले में किसान आंदोलित हैं। किसान नेता शव का पोस्टमार्टम व अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 02:19 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 05:35 PM (IST)
धरने पर बैठे किसान की मौत मामले में यूनियन आंदोलित, शव के अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं किसान नेता
धरने पर बैठे किसान की मौत मामले में यूनियन आंदोलित, शव के अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं किसान नेता

फरीदकोट [प्रदीप कुमार सिंह]। पराली जलाने के मामले में दर्ज मामले वापस लेने सहित कई अन्य मांगों को लेकर किसान आंदोलित हैं। शनिवार को जैतों में एसडीएम दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे किसान जगसीर सिंह (52) पुत्र दयाल सिंह निवासी गांव कोटला जिला बठिंडा ने जहरीला पदार्थ निगल दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई। गुस्साए किसान शव का पोस्टमार्टम करवाने को तैयार नहीं हैं। किसानों का आरोप है कि जगसीर को खुदकुशी करने के लिए प्रदेश सरकार ने मजबूर किया है। वहीं, मृतक परिवार ने अपनी लड़ाई यूनियन पर छोड़ दी है। यूनियन के साथ दु:ख सांझा करने पहुंचे पुलिस-प्रशासन के अधिकारी शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए यूनियन को मनाने में अभी तक असफल साबित हुए हैं। यूनियन नेता मांगों को मानने की मांग कर रहे हैं। 

बता दें, जगसीर सिंह शनिवार सुबह धरने में कुछ समय बैठा था। उसके बाद वह वहां से उठकर बाहर गया। इसी दौरान उसने कीटनाशक या कोई अन्य जहरीली वस्तु का सेवन कर लिया। जब वह कुछ समय बाद वापस धरने पर आकर बैठा तो उसकी हालत खराब होने लगी, साथ में बदबू भी आ रही थी। उसे देख दूसरे किसानों को लगा कि जैसे किसान ने शराब पी है, परंतु ज्यादा हालात खराब होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।

यूनियन के प्रदेश प्रधान जगजीत सिंंह डल्लेवाल ने कहा कि यह बेहद गंभीर स्थिति है। सरकार का रूख तानाशाही वाला है। किसान अपनी मांगों को लेकर आत्महत्या करने लगे हैंं। अब सरकार के विरोध में संघर्ष की अगली रूपरेखा क्या होगी, इसके लिए प्रदेशभर से किसान यूनियनों के वरिष्ठ नेता पहुंच रहे हैंं। उसके बाद ही फैसला किया जाएगा। उन्होंने बताया मृतक जगसीर सिंह दो दिन पहले ही बठिंडा वाले जत्थे के साथ धरने में शामिल होने के लिए पहुंचा था।

वहीं, जैतो एसडीएम डॉ मनदीप कौर ने बताया कि उन्हें किसान के मृत होने की सूचना मिल गई है, परंतु किसान की मौत कैसे हुई इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उधर, जैतो सिविल अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि जब किसानों द्वारा मरीज को उनके पास लाया गया, तब तक उसकी हालत बेहद गंभीर हो गई थी, उन्होंने तुरंत उपचार शुरू किया परंतु 9.50 बजे सुबह उसकी मौत हो गई। डॉक्टर के अनुसार किसान ने जो भी केमिकल सेवन किया है, उसका खुलासा पोस्टमार्टम की जांच उपरांत ही हो सकेगा।

मृतक किसान डेढ़ एकड़ जमीन का मालिक था। वह अपने पीछे परिवार में दो बेटे, दो बेटियां व पत्नी छोड़कर गया है। बेटियों की शादी हो चुकी है। उक्त धरना भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में चल रहा था, पहले यह धरना जैतो थाने के समक्ष 7 नवंबर को शुरू हुआ था जो कि संघर्ष को तीखा करने के क्रम में 30 नवंबर को एसडीएम दफ्तर के समक्ष शिफ्ट करते हुए किसानों द्वारा जेल भराे अभियान के तहत गिरफ्तारियां देनी शुरू की गई।

फरीदकोट जिले में पराली जलाए जाने के दर्ज हुए अब तक 65 मुकदमे

पराली जलाए जाने की घटनाओं से उपजे संकट पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद जिले में पराली जलाने वाले किसानों पर मुकदमे दर्ज करने के मामलों में इजाफा हुआ, फरीदकोट जिले में अब तक कुल 65 किसानोें पर मुकदमे दर्ज किए गए हैंं, जिसमें दो सौ से ज्यादा किसान नामजद है।

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