नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु
चैत्र नवरात्र के पहले दिन पूजा-अर्चना जिले के सभी देवी मंदिरों में विधि-विधान से की गई।
जासं, फरीदकोट
चैत्र नवरात्र के पहले दिन पूजा-अर्चना जिले के सभी देवी मंदिरों में विधि-विधान से की गई। सुबह से ही देवी मंदिरों में पूजा-पाठ करने के लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। मंदिर कमेटियों द्वारा भी मंदिर के आसपास सफाई के साथ ही श्रद्धालुओं को कोरोना महामारी से बचाव के लिए भी प्रबंध किया गया था।
फरीदकोट न्यू कैंट रोड गली नंबर आठ नंबर स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी गौरव दीक्षित ने बताया कि नवरात्र से हिदुओं का नया साल यानि नवसंवत्सर 2078 शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्र का आरंभ मंगलवार दिन से हुआ है, जिसकी वजह से मां घोड़े पर सवार होकर आई है। सभी नवरात्र यानि चैत्र, शारदीय, माघ और आषाढ़ नवरात्र में विशेष रूप से मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की अलग-अगल दिन पूजा का महत्व होता है। ऐसे में इस चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा-अर्चना की जाएगी। पंडित गौरव दीक्षित ने बताया कि मान्यता है कि नवरात्र पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं, जहां वे नौ दिनों तक वास करते हुए अपने भक्तों की साधना से प्रसन्ना होकर आशीर्वाद देती हैं। नवरात्र पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा-पाठ करने से आम दिनों के मुकाबले पूजा का कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। इस दौरान माता को जल के साथ सिदूर, लाल फूल व अनार आदि अर्पित करने का विशेष फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि भगवान राम ने भी लंका पर चढ़ाई करने से पहले रावण संग युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए देवी की साधना की थी। नवरात्र पर सभी शक्तिपीठों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। माना जाता है कि विधि.विधान से कलश स्थापना करने से मां भक्तों के सारे कष्ट दूर करती हैं। प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि का पर्व आरंभ हो जाता है। पहले दिन में विधि.विधान से घटस्थापना करते हुए भगवान गणेश की वंदना के साथ माता के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा, आरती और भजन किया गया।