पुलिस ने लैब को सील करने के लिए सिविल सर्जन को लिखा पत्र

हजारों रुपये के बदले कोरोना महामारी की मनचाही रिपोर्ट हासिल किया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 May 2021 04:50 PM (IST) Updated:Sat, 22 May 2021 04:50 PM (IST)
पुलिस ने लैब को सील करने के लिए सिविल सर्जन को लिखा पत्र
पुलिस ने लैब को सील करने के लिए सिविल सर्जन को लिखा पत्र

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट,

हजारों रुपये के बदले कोरोना महामारी की मनचाही निगेटिव रिपोर्ट। रिपोर्ट की विश्वसनीयता इतनी कि जेल से छुट्टी लेने के लिए कैदी-हवालाती पाजिटिव और विदेश के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में अपने कामकाज के लिए जाने वाले निगेटिव। यह सुनने में जितना असहज आम लोगों के लिए है, उतना शायद सेहत विभाग और पुलिस को नहीं। इसी का परिणाम है, कि घटना के तीसरे दिन भी मनचाहा रिपोर्ट देने वाले लैब को सील करने की जहमत न तो सेहत विभाग द्वारा उठाई गई और न ही जांच कर रही पुलिस द्वारा। लैब न सील किए जाने की बात जांच अधिकारी से पूछे जाने पर बता रहे है कि हमनें लैब को ताला लगवाकर चाबी अपने पास ले ली थी, अब लैब को सील करने के लिए सिविल सर्जन को पत्र लिख रहे हैं। कोरोना महामारी का प्रकोप चरम पर होने को देखते हुए, कुछ लोगों ने इस आपदा को अवसर में भुनने के लिए चंडीगढ़ की मान्यताप्राप्त लैब की फ्रेंचाइजी शहर में लाकर मेडिकल कालेज के सामने अप्रैल के पहले सप्ताह में अपनी लैब खोल ली। इन लोगों ने कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की चाहत में कैदी और विदेश जाने वालों को ही अपना ग्राहक बनाना शुरू किया। कोरोना महामारी के कारण जेल से पैरोल पर आए कई कैदी खुद को कोरोना संक्रमित दिखाकर जेल से अपनी छुट्टी बढ़ाने की जुगत में थे तो विदेश जाने वाले लोग कोरोना संक्रमित होने पर हर हाल में महामारी की निगेटिव रिपोर्ट। यह लोग अपनी मनमाफिक रिपोर्ट के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार थे। इसी का फायदा उठाते हुए लैब संचालकों का काम दिन बढ़ने लगा, और अंतत: यह लोग सीआइए स्टाफ झांसे में आकर एक कैदी की जाल में फंस गए।

यह लोग चंडीगढ़ की जिस लैब की रिपोर्ट देते थे, वह सही होती थी। मनमाफिक रिपोर्ट के लिए सैंपलों में हेराफेरी करते थे। कोरोना संक्रमित व्यक्ति विदेश या देश के किसी और हिस्से में जाना चाह रहा हो तो वहां पर कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत होती है। लैब टेक्निशयन किसी ऐसी व्यक्ति का सैंपल लेकर जांच हेतु भेजते थे, जिसे बीमारी न हो और सैंपल के साथ आधारकार्ड और मोबाइल नंबर उस व्यक्ति का देते थे, जिसे रिपोर्ट की जरूरत होती थी। ऐसे में कोरोना संक्रमित होते हुए भी उसे मान्यताप्राप्त लैब की निगेटिव रिपोर्ट मिल जाती थी। इसी प्रकार से वह कैदी जो कि खुद को कोरोना संक्रमित बताकर जेल से अपनी छुट्टी और बढ़वाना चाह रहे थे वह लोग पाजटिव रिपोर्ट ले लेते थे। मनमाफिक पाजटिव और निगेटिव के लिए पैसा कोई फिक्स नहीं होता था, जरूरतमंद की जरूरत को देख कर पैसे लिए जाते थे।

मुकदमें की जांच कर रहे एसआई सुरिदर सिंह ने बताया कि आरोपियों को 20 मई को रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया था। पूछताझ हेतु तीन दिन का पुलिस रिमांड भी लिया गया है, आशा है कि उसमे और भी खुलासे होंगे।

पाजटिव, निगेटिव रिपोर्ट से बिगड़ा आंकड़ा-

पकड़े गए आरोपित अविनाश कुमार चावला और सुखजिदर सिंह ने लोगों को मनमाफिक पाजटिव निगेटिव जो रिपोर्ट दी है। यह आकंड़ा रोज सेहत विभाग की साइड पर अपलोड भी हुआ है। हालांकि इस लैब से सेहत विभाग को पांच से सात लोगों के ही सैंपलों की जांच होने की सूचना दी जा रही थी। पिछले 46 दिनों में जो 270 लोगों को रिपोर्ट जारी हुई, वह वास्तविक नहीं रही। इससे जिला, प्रदेश ही नहीं देश का भी कोरोना संक्रमितों का आकंड़ा प्रभावित हुआ है, यह जांच का विषय है। सिविल सर्जन डाक्टर संजय कपूर का कहना है कि जब विभाग को जांच में शामिल किया जाएगा तो वह निश्चित रूप से सभी तथ्यों की जांच करेंगे।

इनसेट

निगेटिव रिपोर्ट हासिल कर कईयों को किया संक्रमित

कोरोना संक्रमितों ने पैसे लेकर लैब से निगेटिव रिपोर्ट हासिल कर देश में जहां कहीं गए वहां पर कोरोना महामारी को फैलाने का काम किया है। यह अपराध की श्रेणी में आता है, परंतु जांच जारी होने की बात कह कर कोई भी अधिकारी ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

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