भगवान को सिर्फ ब्रह्मज्ञान से ही समझना संभव
श्री दुर्गा माता मंदिर देवस्थानम द्वारा कोटकपूरा शहर में सात दिवसीय भादवत कथा जारी है।
संवाद सूत्र, कोटकपूरा
श्री दुर्गा माता मंदिर देवस्थानम द्वारा कोटकपूरा शहर में सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। समागम के पांचवें दिन कथा प्रसंग की चर्चा करते हुए सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी गौरी भारती ने भगवान श्री कृष्ण जी की लीलाओं की महिमा एवं उनका सार बताते हुए कहा कि प्रभु अपनी टोली के साथ मिलकर गोपियों के घरों से माखन चुराया करते थे। यदि प्रभु माखन चुराने की लीला करते थे तो समाज में इसको सही अर्थों में न लेते हुए कहा जाता है कि अगर प्रभु चोरी करते थे तो हम भी क्यों न करें, हम उनकी बराबरी करते हैं। पर सवाल यह है कि अगर प्रभु ऐसा करते थे तो प्रभु ने तो गोवर्धन पर्वत को भी अपनी छोटी उंगली पर उठाया था तो हम क्या ऐसा कर सकते हैं। और रही बात माखन चोरी की तो उन्होंने माखन चोरी कर यह शिक्षा दी के जो भी गोपी के भीतर में अहंकार छुपा है वह खत्म हो जाए। वह हमारे भीतर छिपे विकारों की चोरी कर हमें सही मायने में एक भक्त बनाना चाहते हैं।
भगवान श्री कृष्ण हमारी मैं को खत्म कर हमें प्रेम भाव से भरना चाहते थे तभी वह ऐसी लीलाएं करते थे। इसीलिए हम प्रभु की बराबरी कभी नहीं कर सकते। हम उन्हें केवल ब्रह्म ज्ञान के द्वारा ही समझ सकते हैं। इसी के साथ कथा के दौरान ज्योति प्रज्वलित की करने की रस्म को अशोक दिओड़ा (प्रधान), सोमनाथ शास्त्री, सतपाल अरोड़ा, सुषमा देवी, गुरशरण दास कटारिया, विजय कुमारी, लक्ष्मी देवी, कांता देवी, दर्शन लाल और प्रमोद कुमार द्वारा पूर्ण की गई। अंत में साध्वी बहनों द्वारा सुमधुर भजनों का गायन किया गया और प्रभु की पावन पुनीत आरती के साथ समापन किया गया।