सिविल अस्पताल सहेज रहा बारिश की हर बूंद

जल है तो कल है। आसमान में गिरने वाली बारिश रूपी अमृत की हर बूंद को सहेजा जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 03:52 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 03:52 PM (IST)
सिविल अस्पताल सहेज रहा बारिश की हर बूंद
सिविल अस्पताल सहेज रहा बारिश की हर बूंद

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट

जल है तो कल है। आसमान में गिरने वाली बारिश रूपी अमृत की हर बूंद को बहकर बर्बाद होने से बचाने के लिए जरूरी है कि उसे सहेज कर संग्रहित किया जाए, जिसका बारिश खत्म होने पर प्रयोग हो सके। यदि बारिश के पानी को संग्रहित नहीं कर पाते तो उसे हार्वेस्टिग सिस्टम के माध्यम से वाटर रीचार्ज के रूप में प्रयोग करना सबसे बेहतर विकल्प है, ताकि गिरते हुए जलस्तर को रोकने में मदद मिल सके।

फरीदकोट जिले के कई सरकारी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगा है, जो कि बारिश के पानी को स्वच्छ कर वाटर रीचार्ज कर रहे हैं। ऐसे ही एक सिस्टम फरीदकोट सिविल अस्पताल में लगा है। फरीदकोट सिविल अस्पताल का निर्माण 1931 में फरीदकोट रियासत के राजा हरेन्द्र सिंह बराड़ द्वारा किया गया था। 90 साल पुरानी साढ़े चार एकड़ क्षेत्रफल में फैले सिविल अस्पताल की इमारत व ग्राउंड से बड़ी मात्रा में बारिश का पानी एकत्र होता है, जिसे 2017 में अस्पताल प्रशासन द्वारा बनाए गए हावर्ेंस्टिग सिस्टम से रीचार्ज किया जा रहा है।

उक्त सिस्टम लगाने से पहले बारिश होने पर सिविल अस्पताल तालाब की शक्ल में दिखाई देने लगता था। कई-कई दिनों तक बारिश का पानी अस्पताल के रास्तों व ग्राउंड में एकत्र रहता था, जिससे डाक्टर, स्टाफ व लोगों को परेशानी तो होती ही थी, साथ में वाहन चालकों को पार्किंग की ज्यादा समस्या होती थी। ज्यादा बारिश होने पर अस्पताल परिसर सड़क से नीचा होने के कारण सड़क के माध्यम से शहर का बारिश का पानी भी एकत्र होकर अस्पताल में आ जाता था, जिससे और परेशानी बढ़ जाती थी। अब जबकि अस्पताल में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगा है तब से बारिश के पानी से उपजने वाली समस्या खत्म हो गई है, वहीं वाटर रीचार्ज अलग से हो रहा है।

इनसेट

खुली व अंडरग्राउंड नालियां बनाई गई : एसएमओ

अस्पताल के एसएमओ डाक्टर चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि 2017 में अस्पताल में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाया गया था, यहां तक परिसर की इमारतों व ग्राउंड का पानी पहुंच सके लिए कुछ खुली व कुछ अंडरग्राउंड नालियां बनाई गई है। सिस्टम के माध्यम से वाटर रीचार्ज होने वाला पानी गंदा न जाए। इसके लिए तीन स्तर पर जालियां लगाई गई है, यहीं नहीं कूड़ा-कर्कट भी न जाए इसके पूरे प्रबंध किए गए हैं। बारिश के मौसम में अस्पताल में जल-जमाव होने वाली समस्या से निजात मिल गया है। उन्होंने बताया कि इसके निर्माण में कुल लगभग पचास हजार रुपये की लागत आई थी।

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