पीआरटीसी की 75 में 50 बसें बंद, निजी बस संचालकों की चांदी

नियमित करने की मांग को लेकर पीआरटीसी के कच्चे कर्मियों ने नियमित करने की मांग को लेकर हड़ताल शुरू कर दी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 05:31 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 05:31 PM (IST)
पीआरटीसी की 75 में 50 बसें बंद, निजी बस संचालकों की चांदी
पीआरटीसी की 75 में 50 बसें बंद, निजी बस संचालकों की चांदी

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

नियमित करने की मांग को लेकर, पीआरटीसी के कच्चे कर्मियों ने बस स्टैंड पर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मियों के हड़ताल से ज्यादातर सरकारी बसें डिपो से बाहर ही नहीं निकली। सरकारी बसों के कम संख्या में सड़कों पर उतरने से बड़ी संख्या में यात्री फंस गए। राहत की बात रही कि निजी बस संचालकों द्वारा अपनी बसें पूर्व दिनों की तरह चलाई गई, परंतु यात्रियों की भारी भीड़ ढोने में निजी बस संचालकों को भी पसीने छूटे।

सरकारी बसों के कम संख्या में चलने से, सबसे ज्यादा परेशानी महिला यात्रियों को हुई। प्रदेश सरकार द्वारा महिला यात्रियों को निशुल्क आवागमन की सुविधा मुहैया करवाई गई है। जिन महिलाओं को हड़ताल की जानकारी नहीं थी, वह बस स्टैंड व रास्तों में सरकारी बसों का इंतजार करती रही, परंतु सरकारी बसों के न आने और पास में पैसे न होने पर उन्हें घर लौटना पड़ा।

फरीदकोट बस डिपो के जीएम महेन्द्रपाल सिंह ने बताया मंगलवार को 75 बसों में से मात्र 25 बसें ही चल रही है, जबकि शेष 50 बसें डिपों में खड़ी यह बसें कब चलेगी वह कुछ नहीं कह सकते। हड़ताली कर्मियों ने नियमित किए जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु की है।

निजी बस संचालकों ने सरकारी बसों के विभिन्न रूटों पर कम संख्या में चलने को देखते हुए जमकर चांदी काटी। आलम यह रहा है कि महत्वपूर्ण रूटों की बसों पर यात्रियों से ठसाठस भरी रही, और बहुत से यात्री बस में खड़े भी होने की जगह नहीं पाए। आम दिनों में निजी बसों में महिला यात्रियों की संख्या बेहद कम होती है, परंतु मंगलवार को हड़ताल के कारण निजी बसों में यात्रा करने को महिलाएं मजबूर हुई।

बेअंत कौर, रणजीत कौर, अमनीत कौर ने प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री चन्नी से मांग की यदि सरकार हड़ताली कर्मियों की मांगों को मानने की सोच रही है तो वह जल्दी मान ले जिससे महिलाओं को परेशानी न हो। उक्त महिला यात्रियों ने कहा कि सरकार हड़ताली लोगों मांग अंतत: मान ही लेती है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि उसकी वजह से लोगों खास कर महिला यात्रियों को परेशानी न हो।

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