दो गुटों की लड़ाई में तीसरे ने गड़ाई आंख

कोटकपूरा में दो गुटों में बंटी कांग्रेस सीट जीतने के लिए तीसरे ने आंख गडाई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 04:10 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 04:10 PM (IST)
दो गुटों की लड़ाई में तीसरे ने गड़ाई आंख
दो गुटों की लड़ाई में तीसरे ने गड़ाई आंख

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट

कोटकपूरा में दो गुटों में बंटी कांग्रेस सीट जीतने के लिए किसी तीसरे चेहरे पर दांव खेल सकती है। इसके लिए जैतो से पार्टी के एक वरिष्ठ नेता एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। कांग्रेस के लिए कोटकपूरा विधानसभा सीट सबसे सुरक्षित व अहम मानी जाती रही है, ऐसे में भाई राहुल सिंह सिद्दू व अजय पाल सिंह संधू की गुटबाजी व अंतरकलह देख पार्टी सीट जिताऊ प्रत्याशी को ही पहल देगी।

कोटकपूरा विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में आप ने पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पैतृक गांव संधवा से कुलतार सिंह संधवा को चुनाव मैदान में उतारा और वह सीट जीतने में सफल रहे। इस बार भी आप ने संधवा को ही 2022 के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया है। विधायक के पांच साल विपक्ष में रहने पर, कोटकपूरा हलके में विकास कार्य कांग्रेस के हलका प्रभारी भाई राहुल सिंह सिद्दू और अजय पाल सिंह संधू द्वारा करवाए जाने के दावे किए जा रहे हैा। जो विकास कार्य हुए भी हैं उसमें विधायक का कोई खास रोल नहीं रहा है।

विकास कार्यो की बदौलत कांग्रेस नेता लोगों से वोट मांगने के साथ अपने हक में माहौल बना रहे हैं परंतु पिछले पांच सालों में अधिकांश समय कोटकपूरा में कांग्रेस की गुटबंदी ही हावी रही है। आलम यह रहा कि कोंग्रेस के दोनों गुट एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते। दोनों नेताओं के हलके में विकास कार्य और चुनाव जीतने की रणनीति के अपने-अपने दावे हैं। यह दावे कितने सही हैं और कितने गलत यह वहीं जाने, परंतु पिछले दिनों कोटकपूरा नगर कौंसिल में एक-दूसरे को कमजोर दिखाने के लिए जो कुछ हुआ, वह पार्टी व किसी से छुपा नहीं है। यह प्रमाण है कि इन दोनों में से जिस किसी को भी टिकट मिली उसके लिए दूसरा धड़ा जीत की राह आसान करने की जगह मुश्किलें ही पैदा करेगा।

कोटकपूरा के स्थानीय नेताओं की गुटबंदी को देखते हुए जैतो के एक वरिष्ठ पार्टी नेता अपने अवसर देख रहे हैं और वह कोटकपूरा सीट से खुद को उम्मीदवार बनाए जाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। हालांकि पार्टी किसे टिकट देती है और गुटबंदी का किस प्रकार से प्रयोग करती है यह देखने वाली बात होगी।

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