सात साल से खेत में मिला रहे पराली

पर्यावरण प्रेमी किसान गुरप्रीत सिंह वासी गांव चंदबाजा ने बताया कि उन्होंने सात साल से पराली नहीं जलाई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 04:54 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 04:54 PM (IST)
सात साल से खेत में मिला रहे पराली
सात साल से खेत में मिला रहे पराली

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

पर्यावरण प्रेमी किसान गुरप्रीत सिंह वासी गांव चंदबाजा ने बताया कि वह पिछले सात साल से पराली को आग नहीं लगा रहे है, बल्कि खेत में ही मिलाकर गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। इससे उन्हें गेंहू की अच्छी पैदावार मिलने के साथ ही फसल लागत भी कम हुई है। वह किसान भाइयों से अपील करते हैं कि पर्यावरण हम सभी की सेहत से जुड़ा है, ऐसे में पराली जलाने से प्रदूषित होने वाला पर्यावरण हमें बीमारियों की ओर धकेल रहा है, जरूरत है कि हम सभी पर्यावरण की शुद्धता में अपना हर संभव योगदान दें।

उन्होंने बताया कि पराली को खेत में फैलाकर गेहूं की हैपी सीडर से बिजाई करते हुए तीन साल पहले तत्कालीन डीसी राजीव पराशर के साथ गुरप्रीत सिंह की फोटो केन्द्र सरकार द्वारा अपने पोर्टल पर अपलोड की गई, जो कि गुरप्रीत सिंह के लिए बड़ी उपलब्धि है। गुरप्रीत सिंह ने बताया कि इस वर्ष विगत वर्षो की तुलना में लोग पराली कम जला रहे है, क्योंकि किसानों के खेत से पराली उठाने के लिए मशीने मिल रही थी, अब जबकि धान की कटाई काम पूरा हो चुका है और बासमती धान की कटाई काम बाकी है। ऐसे में बड़ी मशीनों के कम आने को देखते हुए संभवत: कुछ किसाना बासमती की पराली को आग लगाएं। यदि उन्हें भी पराली की गांठ बनाने वाली मशीनें उपलब्ध हो गई तो वह भी ऐसा न करें।

उन्होंने बताया कि किसानों के पराली जलाने से भूमि की ऊपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है। इस कारण भूमि में 80 फीसद तक नाइट्रोजन, सल्फर और 20 फीसद अन्य पोषक तत्वों में कमी आई है। मित्र कीट नष्ट होने से शत्रु कीटों का प्रकोप बढ़ा है जिससे फसलों में तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं। मिट्टी की ऊपरी परत कड़ी होने से जलधारण क्षमता में कमी आई है।

सिविल अस्पताल के एसएमओ व मेडिसीन स्पेशलिस्ट डाक्टर चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि प्रदूषित कण शरीर के अन्दर जाकर खांसी बढ़ाते हैं। अस्थमा, डायबिटीज के मरीजों को सांस लेना दूभर हो जाता है। फेफड़ों में सूजन सहित टॉसिल, इन्फेक्शन, निमोनिया और हार्ट की बीमारियां जन्म लेने लगती हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा परेशानी होती है।

इनसेट

खेती उपकरणों पर मिल रही सब्सिडी : डीसी

डिप्टी कमिश्नर विमल कुमार सेतिया ने बताया कि किसान पराली का प्रबंधन खेत में करें। खेत की मिट्टी में मिलाकर खाद बनाए, ऐसा करने के लिए कृषि उपकरणों पर सरकार द्वारा भारी सब्सिडी दी जा रही है। जिले के विभिन्न हिस्सों में साढ़े पांच सौ से ज्यादा ऐसे सेंटर बनाए गए हैं, जहां पर किसान किराए पर कृषि उपकरण लेकर पराली को खेत में मिला सकते है।

chat bot
आपका साथी