एक ही एंबलेंस से ले जाया जाता है कोरोना संक्रमित व शवों को

कोरोना से होने वाली मौत के बाद शवों को ले जाने के लिए वाहन की कमी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 04:11 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 04:11 PM (IST)
एक ही एंबलेंस से ले जाया जाता है कोरोना संक्रमित व शवों को
एक ही एंबलेंस से ले जाया जाता है कोरोना संक्रमित व शवों को

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट

कोरोना से होने वाली मौत के बाद शवों को ले जाने के लिए वाहनों का प्रबंध करना परिजनों के लिए मुश्किल हो रहा है। प्रशासन द्वारा भले ही एंबुलेंसों के रेट निर्धारित कर दिए गए है, परंतु इन रेटों का पालन न के बराबर हो रहा है। सबसे बड़ी बिडंबना फरीदकोट मेडिकल कालेज अस्पताल के फारेंसिक विभाग के समक्ष खड़े एंबुलेंसो में यह देखने को मिल रही है। वही एंबुलेंस कोरोना संक्रमित समेत दूसरे मरीजों को मेडिकल कालेज अस्पताल लेकर आ रही है जो कोरोना मृतकों का शव भी लेकर जा रही है। हालांकि वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो एंबुलेंस में शव ले जाना कोई अपराध नहीं है, परंतु शव ले जाने के लिए शव वाहन का प्रावधान है। ऐसे में जिन एंबुलेंस संचालकों द्वारा कोरोना संक्रमित शव को ले जाया जा रहा है, उनमें से अधिकाशं शव छोड़ने के बाद न तो वाहन की धुलाई करवा रहे हैं और न ही भलीभांति वाहन को सैनिटाइज कर रहे है। ऐसे में मरीज व उनके रिश्तेदार जो वाहन में बैठते हैं उनको संक्रमण होने का अंदेशा बना रहता है।

कुछ एंबुलेंस संचालकों द्वारा मृतकों के परिजनों की मजबूरी का फायदा उठाकर ज्यादा पैसे वसूले जा रहे है। ड्राइवर द्वारा पीपीई किट के नाम पर भी मृतक के परिजनों से पांच सौ रुपये वसूले जा रहे हैं जबकि कई ड्राइवर इन पीपीई किटों का प्रयोग ही नहीं करते हैं।

ऐंबुलेंस संचालकों के मनमानी रेट पर अंकुश लगाने के लिए डिप्टी कमिश्नर विमल कुमार सेतिया द्वारा सामान्य व वेंटीलेटर एंबुलेंसों के रेट के निर्धारित किए हैं। इसके तहत दूरी के साथ किलोमीटर के हिसाब से पैसे निर्धारित हैं। सामान्य एंबुलेंस 12 रुपये प्रति किलोमीटर जबकि वेंटीलेटर एंबुलेंस 25 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे ले सकते है। इससे ज्यादा पैसे लेने पर पाबंदी लगा दी गई है, उक्त पांदबी की परवाह किए बिना अधिकांश एंबुलेंस संचालक पीड़ित की जेब काट रहे है। इनसेट

दो मर्चरी वाहन की डिमांड भेजी गई है : सिविल सर्जन

मेडिकल कालेज अस्पताल के साथ ही फरीदकोट सेहत विभाग के पाश शवों को लाने ले जाने के लिए एक भी शव वाहन नहीं है। सिविल सर्जन डाक्टर संजय कपूर ने बताया कि जिले में शव वाहन न होने को देखते हुए फरीदकोट व कोटकपूरा सिविल अस्पताल के लिए दो मर्चरी वाहनों की डिमांड भेजी गई है। इनसेट

रेडक्रास की नहीं दिख रही लीडरशिप

कोरोना महामारी के दौरान लोग रेडक्रास की ओर मदद की आस लगाए बैठे है, परंतु मदद के रूप में रेडक्रास आगे बढ़कर लीड नहीं कर रहा है। फरीदकोट रेडक्रास सोसाइटी प्रदेश के धनाढ़य सोसाइटियों में से एक है। महामारी से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं वह नाकाफी हैं। ऐसे में यदि एंबुलेंसों की व्यवस्था ही रेडक्राश द्वारा हेल्पलाइन खोलकर मैनेज की जाए तो पीड़ितों की बड़ी मदद हो सकती है। रेडक्रास सोसाइटी अस्थाई रूप से अपना कैंप मेडिकल कालेज अस्पताल में खोलकर कोरोना संक्रमित मरीजों व कोरोना से मृत हुए शवों को लाने ले जाने के लिए उचित रेट में एंबुलेंस मुहैया करवा सकती है।

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