चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 के बारे में बताया
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से संचालित नेचु एचरल केयर चइल्डड लाइन की टीम ने कार्यक्रम करवाया।
संवाद सहयोगी, फरीदकोट
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से संचालित नेचु एचरल केयर चाइल्ड लाइन की टीम ने राम नगर चोपड़ा वाला बाग कोटकपूरा में खुला मंच कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें मुख्य मेहमान के तौर पर वहा के एमसी बिदर सिंह और आरपीएफ कोटकपूरा के मुलाजिमों को बुलाया गया। बच्चौं और उनके माता-पिता को चाइल्ड लाइन के टोल फ्री 1098 के बारे में जानकारी दी गई। उनको समझाया गया कि चाइल्ड लाइन 18 वर्ष तक के लावारिस गुमशुदा , बेसहारा बच्चों के लिए बनाया गया एक इमरजेंसी टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर है। इस पर आप फोन कर किसी भी बच्चे के लिए निशुल्क मदद ले सकते हैं। इसमें जानकारी देने वाले का नाम और नंबर गुप्त रखा जाता है। लोगों को 1098 नंबर डायल करना सिखाया गया। बच्चों को कोविड-19 के बारे में जानकारी दी गई और उसके बचाव और लक्षण बताए गए। अंत में बच्चो को हाथ धोने के स्टेप बताकर उनसे हैंड वाश एक्टिविटी करवाई गई। बच्चों को आनलाइन खतरों के बारे में और नशे के खिलाफ जागरूक किया गया।
इस मौके पर आरपीएफ कोटकपूरा के हेड कांस्टेबल रेशम सिंह, महिला हेड कांस्टेबल रविदर कौर, चाइल्ड लाइन की सेंटर कोआर्डिनेटर सोनिया रानी, टीम सदस्य पूजा कुमारी गगनदीप कौर,और सुभाष चंद्र उपस्थित थे। -------------------- बढ़ रही महंगाई पर रोक लगाई जाए
संवाद सूत्र, गिद्दड़बाहा (श्री मुक्तसर साहिब)
प्रीत नगर निवासी साहिल रविदासिया ने कहा कि महंगाई बढ़ती जा रही है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की कीमतों में हर रोज बढोतरी हो रही है। सब्जियों के मूल्य भी आसमान पर हैं। गरीब आदमी पहले चटनी के साथ रोटी खा लेता था अब तो रोटी पर नमक मिर्च लगाकर ही रोटी खानी पड़ रही है। सब्जी में पड़ने वाला सरसों का तेल 200 रुपये लीटर के पार हो गया है। दाल कोई भी ले लो 100 रुपये किलो से कम नहीं मिलती। यह बढ़ रही महंगाई कारण आम आदमी की कमर टूट चुकी है।
बड़े लोगों को बढ़ रही महंगाई कारण कोई फर्क नहीं पड़ता। परंतु इस महंगाई ने दर्मियाने दुकानदारों के धंधे चौपट कर दिए हैं। शहर की बहुत से हलवाई की दुकानों पर रेट लिस्ट लगी हुई है जिस में 15 रुपये चाय का कप, 55 रुपये किलो दूध, अमरती का रेट 320 रुपये किलो है। 750 रुपये काजू कतली का रेट है। यदि महंगाई इस तरह ही बढ़ती रही तो गरीब लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगी मिठाई खरीदनी।